उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ इन दिनों राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का अहम केंद्र बनी हुई है। खबर है कि दीपावली के बाद भारतीय जनता पार्टी द्वारा सनातनी समाज का एक भव्य संघ सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन की तैयारियां प्रशासनिक और संगठनात्मक स्तर पर तेज़ कर दी गई हैं। विभिन्न जिलों से जुट रहे प्रतिनिधियों, साधु-संतों और समाज के प्रतिष्ठित लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह सम्मेलन न सिर्फ़ परंपरागत मूल्यों का परिचायक होगा बल्कि संगठनात्मक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जाएगा।सम्मेलन की सबसे बड़ी विशेषता यह होगी कि इसमें धर्मगुरुओं से लेकर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि और बड़ी संख्या में आमजन भागीदारी करेंगे। माहौल पूरी तरह से सांस्कृतिक और धार्मिक आभा से भरा नजर आएगा। भव्य मंच की सजावट और आयोजन की योजना इस प्रकार की जा रही है कि यह एक ऐतिहासिक आयोजन साबित हो। साथ ही क्षेत्रीय लोकनृत्य, भजन मंडलियों और शास्त्रीय संगीत प्रस्तुतियों के माध्यम से परंपरा का जीवंत प्रदर्शन भी होगा।
भाजपा को ज्ञात है कि उत्तर प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य केवल चुनावी समीकरणों पर आधारित नहीं है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि दीपावली जैसे बड़े पर्व के तुरंत बाद ऐसा आयोजन किया जा रहा है, ताकि लोगों के भीतर धार्मिक भावनाओं से उत्पन्न ऊर्जा का लाभ लिया जा सके।राजधानी लखनऊ इस दृष्टि से उपयुक्त स्थल माना गया है क्योंकि यह राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र होने के साथ-साथ सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों से भी समृद्ध है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से प्रदेश में धार्मिक वातावरण लगातार गाढ़ा हुआ है। ऐसे में लखनऊ से यह संदेश देना कि शासन और संगठन दोनों धर्म व संस्कृति के साथ निरंतर जुड़ाव रखते हैं, भाजपा के लिए रणनीतिक मायने रखता है।पार्टी का लक्ष्य है कि व्यापक संख्या में लोगों को जोड़कर समाज के भीतर एक प्रकार का एकात्म भाव उत्पन्न किया जाए। सनातन धर्म से जुड़े ग्रंथों, परंपराओं, और जीवन मूल्यों पर आधारित इस सम्मेलन से जनता में यह विश्वास पुख्ता किया जाएगा कि भाजपा केवल राजनीतिक संगठन ही नहीं बल्कि समाज और संस्कृति की संरक्षक शक्ति है।
सम्मेलन के लिए विशेष रूप से कार्यशालाओं और विचार सत्रों का भी आयोजन होगा। इनमें धर्माचार्यों द्वारा व्याख्यान दिए जाएंगे और सनातन जीवन मूल्यों की व्यावहारिकता पर चर्चा होगी। युवा वर्ग को भी इसमें विशेष रूप से शामिल करने की तैयारी है ताकि अगली पीढ़ी तक यह संदेश जाए कि सनातन धर्म केवल पूजा-पद्धतियों तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन जीने की संपूर्ण विधा है।इस आयोजन से भाजपा को कई प्रकार के लाभ की संभावना देखी जा रही है।पहला लाभ भावनात्मक जुड़ाव का है। जनता के मन में धार्मिक और सांस्कृतिक अनुराग की जड़ें गहरी होती हैं। जब किसी राजनीतिक दल द्वारा इस भावनात्मक धरातल पर पहल की जाती है तो स्वाभाविक रूप से समर्थन का वातावरण निर्मित होता है।दूसरा लाभ संगठनात्मक मजबूती का है। विभिन्न जिलों से प्रतिनिधियों और कार्यकर्ताओं के एकत्रित होने से सांझ की भावना प्रबल होती है। संगठनात्मक स्तर पर नई ऊर्जा का संचार होता है और कार्यकर्ताओं को यह अनुभव होता है कि वे केवल छोटे स्तर पर नहीं बल्कि एक विराट धारा का अंग हैं।तीसरा लाभ सामाजिक धारणा से जुड़ा है। समाज में यह संदेश प्रसारित होने लगता है कि भाजपा केवल सत्ता के लिए नहीं अपितु सनातन संस्कृति और परंपरा की रक्षा के लिए भी निरंतर सक्रिय रहती है। इससे पार्टी की छवि उन वर्गों तक भी सुदृढ़ होती है जहाँ केवल राजनीतिक तर्कों से समर्थन नहीं हासिल किया जा सकता।चौथा लाभ भविष्य की चुनावी ज़मीन तैयार करने से जुड़ा है। सम्मेलन से उत्पन्न धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल लंबी अवधि तक समाज में असर डालता है। इस माहौल का प्रतिफल चुनावी परिदृश्य में दिखाई देने की संभावना रहती है।अंततः यह आयोजन भाजपा के लिए केवल एक सांस्कृतिक सम्मेलन भर नहीं है, बल्कि यह एक गहन रणनीतिक प्रयोग है। इसमें परंपरा, संस्कृति और संगठन तीनों का संयोजन दिखाई देता है। जनता के बीच यह धारणा मज़बूत होती है कि शासन और संगठन दोनों ही जीवन मूल्य और धर्म पर आधारित समाज के निर्माण के लिए चिंतित हैं।