
उत्तर प्रदेश में अवैध ई-रिक्शा और ऑटो रिक्शा के खिलाफ एक व्यापक अभियान चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाना और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशानुसार, यह अभियान 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में संचालित किया जाएगा। बीते कुछ वर्षों में ई-रिक्शा की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे ट्रैफिक जाम और सड़क पर अराजकता बढ़ गई है। लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा और नोएडा जैसे बड़े शहरों में यह समस्या और गंभीर हो गई थी। मेट्रो स्टेशनों, बस स्टॉप, रेलवे स्टेशनों और बाजारों के आसपास अवैध ई-रिक्शा की भरमार हो गई थी, जिससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई थी। इस समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री ने अवैध ई-रिक्शा और बिना पंजीकरण वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।
अभियान के पहले दिन, अधिकारियों ने 915 अवैध ई-रिक्शा जब्त किए और 3,035 उल्लंघनकर्ताओं को चालान जारी किए। दूसरे दिन, यह संख्या बढ़कर 1,007 जब्ती और 3,093 चालान तक पहुंच गई। इसी प्रकार, अभियान के तीसरे और चौथे दिन भी लगातार कार्रवाई जारी रही, और अब तक 10,000 से अधिक ई-रिक्शा और ऑटो पर कार्रवाई हो चुकी है। परिवहन विभाग के अनुसार, प्रदेश में अब तक 50,000 से अधिक ई-रिक्शा बिना पंजीकरण के चल रहे हैं, जिनमें से अधिकांश का कोई वैध लाइसेंस या परमिट नहीं है। इन वाहनों का संचालन अवैध होने के साथ-साथ यात्रियों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गया था। अवैध ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या प्रदेश में यातायात जाम और सड़क दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण बन गई है। लखनऊ जैसे शहरों में, बसों, ऑटो, टेम्पो और ई-रिक्शा कुल वाहनों का केवल 5% हैं, लेकिन ये दैनिक यात्रियों का 15-20% परिवहन करते हैं। इस कारण प्रमुख मार्गों पर जाम की समस्या बढ़ गई थी, जिससे सरकारी बसों और आपातकालीन सेवाओं की आवाजाही भी प्रभावित हो रही थी।
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ई-रिक्शा चालकों को बार-बार नियमों का पालन करने की चेतावनी दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद बड़ी संख्या में अवैध वाहन सड़कों पर दौड़ रहे थे। इनमें से अधिकांश वाहन बिना किसी सुरक्षा मानकों को अपनाए यात्रियों को ढो रहे थे। यातायात नियमों का पालन न करने की वजह से इनसे सड़क दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ गई थी। बीते महीने लखनऊ में एक महिला के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और तुरंत एक राज्यव्यापी अभियान शुरू किया। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि इस विशेष अभियान के तहत अब तक हजारों अवैध ई-रिक्शा जब्त किए जा चुके हैं और कार्रवाई लगातार जारी है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की यातायात व्यवस्था को सुधारने में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अभियान के दौरान ई-रिक्शा और ऑटो चालकों को ट्रैफिक नियमों के प्रति जागरूक करने के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है। परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न जिलों में वर्कशॉप और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ई-रिक्शा चालकों को यातायात नियमों, सुरक्षित ड्राइविंग तकनीकों और वैध परमिट लेने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी जा रही है। नोएडा में, अधिकारियों ने मेट्रो स्टेशनों के पास ई-रिक्शा के लिए निर्दिष्ट मार्ग निर्धारित किए हैं ताकि भीड़भाड़ को कम किया जा सके। इसी प्रकार, लखनऊ और कानपुर में भी प्रमुख व्यस्त सड़कों पर ई-रिक्शा के लिए अलग लेन बनाने की योजना बनाई जा रही है। परिवहन आयुक्त ने बताया कि केवल कार्रवाई ही नहीं, बल्कि लोगों को जागरूक करने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। अवैध ई-रिक्शा चालकों को वैध प्रक्रिया के तहत अपने वाहन पंजीकृत कराने और नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
सरकार का उद्देश्य यातायात व्यवस्था को अधिक सुचारू और सुरक्षित बनाना है। परिवहन विभाग ने संकेत दिए हैं कि आने वाले दिनों में यह अभियान और तेज किया जाएगा। ई-रिक्शा और ऑटो चालकों को वैध परमिट के साथ ही चलने की अनुमति दी जाएगी, और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई जारी रहेगी। अधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का स्पष्ट संदेश है कि उत्तर प्रदेश में कोई भी अवैध गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चाहे वह अवैध खनन हो, भू-माफियाओं पर कार्रवाई हो, या फिर यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए उठाए गए कड़े कदम, योगी सरकार की मंशा प्रदेश को एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित राज्य बनाने की है।
अभियान के नोडल अधिकारी अपर परिवहन आयुक्त (प्रवर्तन) संजय सिंह ने बताया कि प्रदेशभर में यह अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। बुधवार को विभिन्न संभागों में कार्रवाई के आंकड़े इस प्रकार रहे: आगरा मंडल में 444 अवैध ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की गई, जबकि लखनऊ मंडल में 377, कानपुर में 277 और गाजियाबाद मंडल में 257 अवैध ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि झांसी में 216, वाराणसी में 161, अलीगढ़ मंडल में 140, अयोध्या में 135 और मुरादाबाद मंडल में 120 ई-रिक्शा के खिलाफ कार्रवाई की गई। इसके अलावा, मेरठ, बरेली, गोरखपुर और प्रयागराज में भी सैकड़ों वाहनों पर जुर्माना लगाया गया है।
परिवहन विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान को केवल अवैध वाहनों की जब्ती तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे एक व्यापक सुधार कार्यक्रम के रूप में लागू किया जाएगा। प्रदेशभर में यातायात नियमों को सख्ती से लागू करने के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं, जो प्रमुख सड़कों, बाजारों और सार्वजनिक स्थलों पर निगरानी कर रही हैं। हर जिले के परिवहन अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश दिए गए हैं कि अभियान का प्रभावी क्रियान्वयन हो और किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरती जाए।
मुख्यालय से इस पूरे अभियान की नियमित मॉनिटरिंग की जा रही है। हर जिले में अधिकारियों को सख्ती से निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रतिदिन की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें। परिवहन विभाग इस अभियान की सफलता के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह विशेष अभियान 30 अप्रैल तक प्रदेशभर में चलाया जाएगा। इस अभियान से न केवल ट्रैफिक की समस्या का समाधान होगा बल्कि यात्रियों को भी अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिलेगा।
परिवहन विभाग ने यह भी कहा है कि भविष्य में अवैध ई-रिक्शा और ऑटो के खिलाफ इस तरह के अभियान नियमित रूप से चलाए जाएंगे ताकि प्रदेश में ट्रैफिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित किया जा सके। अधिकारियों का कहना है कि यातायात नियमों का पालन करना सभी वाहन चालकों की जिम्मेदारी है और सरकार इसे अनदेखा करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करेगी। प्रदेश के नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे केवल वैध रूप से पंजीकृत और परमिट प्राप्त वाहनों का ही उपयोग करें ताकि यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे।