भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ‘डेड इकोनॉमी’ वाला बयान न केवल विवादास्पद रहा, बल्कि यह भारत के आत्मसम्मान और आर्थिक प्रगति पर एक अनुचित टिप्पणी थी। इस तंज का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की पावन धरती से एक ऐसा संदेश दिया, जो न केवल देशवासियों के मन में स्वदेशी का जज्बा जगा रहा है, बल्कि भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम भी साबित हो रहा है। पीएम मोदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब समय आ गया है कि हर भारतीय अपनी खरीदारी में देशहित को प्राथमिकता दे। यह केवल एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प है, जिसमें हर नागरिक, हर व्यापारी और हर उपभोक्ता की भागीदारी जरूरी है।प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के इस दौर में, जब दुनिया के तमाम देश अपने हितों को प्राथमिकता दे रहे हैं, भारत को भी अपने आर्थिक हितों के प्रति सजग रहना होगा। उन्होंने कहा कि अब भारत में वही सामान खरीदा जाएगा, जिसमें भारतीय पसीने की महक हो, जो भारतीय हाथों से गढ़ा गया हो और जो भारतीय कौशल का प्रतीक हो। यह संदेश ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे नारों को केवल शब्दों तक सीमित न रखकर, इसे हर भारतीय के जीवन का हिस्सा बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है।
आज भारत की अर्थव्यवस्था जिस गति से बढ़ रही है, वह विश्व में चर्चा का विषय बनी हुई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था 2025 और 2026 में 6.4 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो वैश्विक औसत 3 फीसदी से कहीं अधिक है। विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी भारत की जीडीपी वृद्धि दर को 6.3 से 6.5 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया है। यह आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि भारत न केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शुमार है, बल्कि वह जल्द ही जर्मनी को पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचने वाला है। भारत की अर्थव्यवस्था, जो वर्तमान में 4 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की है, 2027-28 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। ऐसे में ट्रंप का ‘डेड इकोनॉमी’ वाला बयान न केवल तथ्यों से परे है, बल्कि यह उनकी हताशा और भारत के प्रति बढ़ती कटुता को भी दर्शाता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को स्वदेशी अपनाने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि यह जिम्मेदारी केवल सरकार या नीति निर्माताओं की नहीं, बल्कि हर उस भारतीय की है, जो अपने देश को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और समृद्ध देखना चाहता है। ‘स्वदेशी’ का यह मंत्र केवल खरीदारी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारतीय कौशल, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने का एक आह्वान है। पीएम ने व्यापारियों से अपील की कि वे अपनी दुकानों पर केवल स्वदेशी सामान को प्राथमिकता दें। यह न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, बल्कि स्थानीय उद्योगों, किसानों और युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।वैश्विक मंच पर आज भारत की स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत है। पिछले एक दशक में भारत ने ‘फ्रैजाइल फाइव’ (कमजोर पांच) की सूची से निकलकर दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाई है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में कहा कि भारत ने सिर्फ 10 सालों में अपनी अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। गोल्डमैन सैक्स जैसे वित्तीय संस्थानों ने अनुमान लगाया है कि 2075 तक भारत अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह उपलब्धि केवल आर्थिक आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व की बढ़ती क्षमता को भी दर्शाती है।हालांकि, ट्रंप के बयान और 25 फीसदी टैरिफ की घोषणा ने भारत के सामने कुछ चुनौतियां भी पेश की हैं। भारत और अमेरिका के बीच 2024-25 में 131.84 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था, लेकिन ट्रंप की नीतियां इस व्यापार को प्रभावित कर सकती हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी। सरकार ने ट्रंप के टैरिफ और बयानों के प्रभावों का अध्ययन शुरू कर दिया है और जल्द ही इसका जवाब देने की तैयारी में है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर देशवासियों को एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि स्वदेशी को अपनाना केवल आर्थिक नीति नहीं, बल्कि यह महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन की भावना को पुनर्जनन करने का प्रयास है। यह एक ऐसा संकल्प है, जो हर भारतीय को अपने देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है। चाहे वह त्योहारों का मौसम हो या शादियों का सीजन, हर खरीदारी में स्वदेशी को प्राथमिकता देना समय की मांग है।विपक्षी नेता राहुल गांधी ने ट्रंप के बयान का समर्थन करते हुए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था वाकई में कमजोर है। हालांकि, यह बयान न केवल तथ्यों के विपरीत है, बल्कि यह देश की आर्थिक प्रगति को कमतर आंकने का प्रयास भी है। स्कॉटिश इतिहासकार विलियम डेलरिम्पल ने भी ट्रंप के दावे का खंडन करते हुए कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिका से दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। ऐसे में विपक्ष का यह रवैया केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है, जो देशहित के बजाय व्यक्तिगत स्वार्थों को प्राथमिकता देता है।
आज जब वैश्विक मंच पर रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन से आयात पर बहस और अमेरिका की टैरिफ नीतियां जैसे मुद्दे चर्चा में हैं, भारत को अपने आर्थिक हितों को और मजबूती से संरक्षित करना होगा। प्रधानमंत्री मोदी का यह आह्वान कि ‘हम वही खरीदेंगे, जो भारत में बना हो’ न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, कौशल और मेहनत को सम्मान देने का भी एक प्रयास है।हर भारतीय को अब यह संकल्प लेना होगा कि वह स्वदेशी का प्रचारक बने। चाहे वह छोटा दुकानदार हो, बड़ा उद्यमी हो या सामान्य उपभोक्ता, प्रत्येक व्यक्ति की छोटी-सी कोशिश भारत को आर्थिक महाशक्ति बनाने में योगदान दे सकती है। यह समय है कि हम अपने मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर देशहित में काम करें। स्वदेशी को अपनाना केवल एक आर्थिक निर्णय नहीं, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। आइए, हम सब मिलकर इस संकल्प को साकार करें और भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएं।