जयपुर. फीस वसूली में आगे और जिमेदारी निभाने में पीछे, राजधानी के कई स्कूलों का यही हाल है। जैसे ही जीपीएस और ड्राइवर वैरिफिकेशन अनिवार्य हुआ, स्कूलों ने कांट्रैक्ट पर चल रहे ऑटो-वैन से पल्ला झाड़ लिया। अब अभिभावकों से साफ कह दिया गया है कि बच्चों की लाने-ले जाने की व्यवस्था खुद करें। नतीजा यह कि अभिभावक दुविधा में और बच्चों की सुरक्षा अधर में लटक गई है। इस फैसले से परेशान अभिभावकों का कहना है कि पहले स्कूल परिवहन शुल्क लेता था, अब जिमेदारी उन पर डाल रहा है। इससे बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी सवाल खड़े हो गए हैं। राजधानी में करीब 20 हजार ऑटो-वैन इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं। वहीं, परिवहन विभाग की नई व्यवस्था का ऑटो यूनियन ने विरोध शुरू कर दिया है।दिक्कतें बढ़ीं, बसें भी सीमित: कई स्कूलों के पास खुद की बसें नहीं हैं, ऐसे में वे अब तक ऑटो और वैन के जरिए छात्रों को लाने-ले जाने की व्यवस्था कर रहे थे। वहीं, जिन स्कूलों के पास सीमित बसें हैं, उनकी पहुंच शहर के हर इलाके तक नहीं है। अब अभिभावकों के सामने परिवहन व्यवस्था की चुनौती खड़ी हो गई है।
500 बसों में लग चुका जीपीएस
- छात्र-छात्राओं और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए परिवहन विभाग ने स्कूल-कॉलेज बसों में जीपीएस और कैमरा लगाना अनिवार्य कर दिया है।
- नए वाहनों के रजिस्ट्रेशन से पहले जीपीएस और कैमरे अनिवार्य होंगे।
- पुराने वाहनों को 31 अगस्त तक यह सुविधा लगवानी होगी।
- जयपुर में फिलहाल करीब 500 बसों में जीपीएस लगाया जा चुका है।
आरटीओ का बयान
पहले चरण में केवल स्कूल बसों में जीपीएस अनिवार्य किया गया है। कांट्रैक्ट पर चल रहे ऑटो-वैन में अभी यह व्यवस्था लागू नहीं है। बसों पर कार्रवाई 1 सितंबर से शुरू होगी। -राजेन्द्र सिंह शेखावत, आरटीओ प्रथम जयपुर
ऑटो यूनियन का विरोध
शहर में हजारों ऑटो स्कूलों में चलते हैं। इनमें जीपीएस लगाना संभव नहीं है। हमने परिवहन अधिकारियों से मांग की है कि ऑटो को नए नियमों से बाहर रखा जाए। आश्वासन दिया गया है। -कुलदीप सिंह, अध्यक्ष, जयपुर महानगर तिपहिया वाहन चालक