बिहार के सर्वे मे फिर एनडीए की सरकार !

बिहार में इंडिया महागठबंधन और एनडीए दोनों की तरफ से सरकार बनाने का दावा किया जा रहा है,लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर टाइम्स नाउ और जेवीसी द्वारा किए गए ताजा जनमत सर्वेक्षणों में यह संकेत मिल रहा है कि बिहार में ’’राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को सत्ता में वापसी की पुन वापसी हो सकती है, जबकि महागठबंधन मजबूत विपक्ष के रूप में उभर सकता है।

टाइम्स नाउ और जेवीसी के ताजे पोल के मुताबिक, बिहार विधानसभा (कुल 243 सीटें) में एनडीए को करीब 136 सीटें मिल सकती हैं, जो बहुमत (122 सीटें) से काफी अधिक है। इसमें अनुमान है कि बीजेपी को 81 सीटें मिलेंगी, जबकि नीतीश कुमार की जेडीयू को 31 के आसपास सीटें हासिल होंगी। यह 2020 की तुलना में गिरावट है, जब जेडीयू को 43 सीटें मिली थीं। सर्वे दर्शाता है कि नीतीश कुमार का प्रभाव राज्य में कम हो रहा है और उनकी बार-बार गठबंधन बदलने की नीति तथा स्वास्थ्य को लेकर चर्चाएं उनकी लोकप्रियता को प्रभावित कर रही हैं। जनता का भरोसा उनके नेतृत्व पर पहले जैसा नहीं रह गया है। इस बार एनडीए प्रचार में पीएम मोदी की मौजूदगी व उनकी योजनाएं जमीनी स्तर तक पहुँच रही हैं, जिससे भाजपा की ताकत और ओबीसी तथा ईबीसी का वोट एनडीए की ओर खिंच रहा है।यह सर्वे कांग्रेस के गाली कांड के पहले का है ,जबकि गाली कांड के बाद महागठबंध कर नुकसान और भी बढ़ सकता है।



हालांकि, आरजेडी की अगुवाई वाला महागठबंधन भी मुकाबले में है। सर्वे के अनुसार, महागठबंधन को इस चुनाव में 75 सीटें और 45.9 फीसदी जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है। तेजस्वी यादव ने युवा, बेरोजगारी और मुफ्त बिजली जैसे मुद्दों को ध्यान में रखकर चुनावी रणनीति तय की है, जो आगामी वोटरों को लुभा रहा है। कांग्रेस की पैदल यात्राएं और राहुल गांधी की रैलियां भी महागठबंधन को ताकत दे रही हैं। लेकिन इसके साथ अपशब्द और गाली गलौच वाला विवाद भी महागठबंधन के लिये हानिकारक नजर आ रहा है। सर्वे के मुताबिक, वे बहुमत से पीछे रह सकते हैं और एनडीए को टक्कर देने के बावजूद सरकार बनाने की स्थिति में नहीं पहुंचते दिख रहे हैं।

मतदाताओं के मुख्य मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई, प्रशासनिक निष्क्रियता, गठबंधन की अस्थिरता व विकास पुरुष की छवि कमजोर पड़ना शामिल है। नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी बनाने, युवाओं के लिए इंटर्नशिप और रोजगार योजनाएं, सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसी घोषणाओं से जनता को लुभाने की कोशिश की गई है। बावजूद इसके, जेडीयू की कमजोर स्थिति का आलम है कि सर्वे में 48.9 प्रतिशत लोगों ने एनडीए को समर्थन दिया, जबकि 35.8 प्रतिशत ने महागठबंधन को चुना है। तेजस्वी को मुख्यमंत्री की जनता की पसंद के तौर पर 38.3 और नीतीश को 35.6 फीसदी वोट मिले।

सीट बंटवारे की बात करें तो बीजेपी और जेडीयू के बीच सीटों पर अभी बातचीत चल रही है, जिसमें 100 से अधिक सीटों पर बीजेपी लड़ सकती है और जेडीयू 90‑95 सीटों पर मुकाबले में हो सकती है। भविष्य में समीकरण बदल सकते हैं, लेकिन अभी के सर्वे के अनुसार बिहार की जनता रोजगार, विकास और स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है, जिससे एनडीए को फायदा मिलता दिख रहा है।



व्यापक विश्लेषण के अनुसार, जेडीयू के लिए यह चुनाव मौका और चुनौती दोनों है। अगर उसका प्रदर्शन और घटा, तो बीजेपी बिहार की राजनीति में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकती है। तेजस्वी यादव की युवा छवि, आक्रामक रणनीति और महागठबंधन का समूह भी एनडीए के लिए चुनौती है, लेकिन सीटों के हिसाब से वर्तमान सर्वे में एनडीए की सरकार बनने की संभावना ताजा माहौल में सबसे प्रबल है।

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