नैरेटिव की लड़ाई में फिसले राहुल, वोटर अधिकार यात्रा क्यों हो गई फीकी?

बिहार में वोटर अधिकार यात्रा पर निकले राहुल गांधी को बड़ा मजा आया. माफ कीजिए, यह हम नहीं कह रहे, बल्कि खुद राहुल ने ही यह बात कही है. उन्होंने कहा है तो मानना ही पड़ेगा. मजा आता भी क्यों नहीं. बिहार में तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी की भागीदारी ने ठीकठाक भीड़ का बंदोबस्त कर दिया. चुनाव आयोग, गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) और 2014 से ही पीएम नरेंद्र मोदी पर वोट चोरी का नया नैरिटिव लेकर वे बिहार की जनता को जागरूक कर रहे थे. संविधान सुरक्षा पर भाषण दे रहे थे. लोकतंत्र और संविधान पर भाजपा से खतरे गिना-बता कर आगाह कर रहे थे. कभी बाइक, कभी पैदल तो कभी कार से वे बिहार की तफरीह कर आए. निष्पक्ष ढंग का कोई भी व्यक्ति कह सकता है कि उनकी यात्रा उम्मीद से कहीं अधिक सफल रही है. बिहार में कांग्रेस की सांगठनिक मजबूती तो ऐसी है कि लोकसभा के 10 उम्मीदवारों का चयन उसके लिए मुश्किल था. पटना में कोई कैंडिडेट नहीं मिला तो सासाराम से मीरा कुमार के पुत्र को बुलाया गया. जहानाबाद से जाकर अखिलेश प्रसाद सिंह के बेटे को महाराजगंज से चुनाव लड़ना पड़ा. यात्रा के रेस्पांस से राहुल गांधी कहीं मुगालते में न आ जाएं. सच तो यह है कि भी़ड़ राहुल के नाम पर नहीं, बल्कि विपक्षी दलों के महागठबंधन का साझा प्रयास इसमें रहा. बहरहाल, खासा भीड़ का जुटना यात्रा की सफलता तो मानी ही जाएगी. भले एनडीए की नजरों में राहुल का मुद्दा सरासर झूठा है, लेकिन इस मुद्दे पर लोग जुटे तो इसे कमतर नहीं आंका जाना चाहिए. राहुल गांधी voter adhikar yatra भी इसी पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.



कांग्रेस के बड़े चेहरों का जुटान

वोटर अधिकार यात्रा बिहार विधानसभा चुनाव से पहले विपक्ष का एक महत्वपूर्ण राजनीतिक अभियान रहा. यात्रा 17 अगस्त 2025 को सासाराम से शुरू हुई और 16 दिनों तक चलेगी. यात्रा में राहुल गांधी के अलावा तेजस्वी यादव, प्रियंका गांधी वाड्रा, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव जैसे प्रमुख नेता शामिल होते रहे हैं. यात्रा का मुख्य उद्देश्य चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना है. कांग्रेस का दावा है कि पहले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 65 लाख से अधिक वोटरों के नाम हटा दिए गए हैं. इसे विपक्ष ‘वोट चोरी’ षड्यंत्र बता रहा है. यह यात्रा राहुल गांधी की पिछली यात्राओं- भारत जोड़ो यात्रा (2022-23) और भारत जोड़ो न्याय यात्रा (2024)- की तर्ज पर है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा में सामाजिक न्याय, जातिगत जनगणना, बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर राहुल गांधी का फोकस था, जिसने 2024 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को 99 सीटें दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वोटर अधिकार यात्रा भी इसी नैरेटिव को आगे बढ़ाती है, लेकिन फोकस चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर है.यात्रा के दौरान राहुल गांधी voter adhikar yatra के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए मतदाता अधिकारों की सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर जोर दिया।



पहले EVM, अब वोट चोरी

राहुल गांधी ने यात्रा के दौरान कहा है कि यह ‘ऐतिहासिक आंदोलन’ है, जो ‘वोट चोरी’ के खिलाफ है और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आवश्यक है. यात्रा का नारा ‘सत्य और अहिंसा जीतेंगे, असत्य और हिंसा नहीं टिकेंगे’ है, जो स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित है. अब तक (30 अगस्त 2025 तक) यात्रा बिहार के विभिन्न जिलों- सासाराम, भागलपुर, कटिहार, पूर्णिया, अररिया, सुपौल, मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सीवान, छपरा और आरा- से गुजरी है. इसका नैरेटिव मुख्य रूप से चुनाव आयोग की SIR प्रक्रिया पर केंद्रित रहा है. कांग्रेस का आरोप है कि भाजपानीत सरकार वोटर लिस्ट में हेराफेरी कर विपक्षी समर्थकों के वोट काट रही है. राहुल गांधी ने रैलियों में कहा कि ‘एक घर में 947 वोटर’ जैसे फर्जी नाम जोड़े जा रहे हैं, जबकि गरीबों, दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के नाम काटे जा रहे हैं. यह नैरेटिव 2024 लोकसभा चुनावों के बाद के आरोपों से जुड़ता है, जहां कांग्रेस ने EVM और वोटर लिस्ट में धांधली का दावा किया था. राहुल का कहना है कि यह यात्रा बिहार से भले शुरू हुई है, लेकिन यह पूरे भारत की है. सोशल मीडिया पर #VoteChori और #VoterAdhikarYatra ट्रेंड कर रहा है, जहां कांग्रेस समर्थक वोटर लिस्ट की जांच की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस का नया नैरेटिव वोट की रक्षा का है. इससे विपक्षी एकता को बढ़ावा मिलेगा.

राहुल की मेहनत पर पानी फिरा

राहुल की इस कामयाब मानी जा रही यात्रा पर एक गलती ने पानी फेर दिया है. 27 अगस्त 2025 को दरभंगा में यात्रा के दौरान विवादास्पद घटना घटी. एक वायरल वीडियो में मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी दिवंगत मां हीराबेन मोदी को गाली दी गई. वीडियो में कुछ कांग्रेसी कार्यकर्ता नौशाद नामक स्थानीय नेता का नाम लेते हुए गाली देते नजर आते हैं. मंच पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और तेजस्वी यादव के पोस्टर थे, लेकिन घटना के समय वे मंच पर मौजूद नहीं थे. वे मुजफ्फरपुर के लिए मोटरसाइकिल से रवाना हो चुके थे. नौशाद ने कहा कि वे 15-20 मिनट पहले चले गए थे और घटना एक नाबालिग द्वारा की गई, जिसका माइक तुरंत छीन लिया गया और उसे थप्पड़ भी मारा गया. भाजपा ने इसे ‘राजनीति की नीचता’ करार दिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘राहुल गांधी को माफी मांगनी चाहिए, यह राजनीति का सबसे बड़ा पतन है.’ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रविशंकर प्रसाद, धर्मेंद्र प्रधान, ओडिशा के सीएम मोहन चरण मांझी, राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा और बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने निंदा की. भाजपा ने पटना के गांधी मैदान थाने में राहुल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. बिहार महिला आयोग ने सुओ मोटो संज्ञान लेते हुए राहुल और तेजस्वी को नोटिस जारी किया है. आयोग ने कहा कि किसी भी महिला का अपमान असहनीय है.’ एक व्यक्ति को इस सिलिसिले में गिरफ्तार किया गया है. कांग्रेस ने पहले वीडियो की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए। कहा कि आवाज साफ नहीं है और यह भाजपा का ‘फर्जी नैरेटिव’ है. राहुल ने पोस्ट किया, ‘सत्य जीतेगा, न्याय होगा.’ लेकिन भाजपा ने इसे ‘घृणा की राजनीति’ बताया. कहा कि कांग्रेस मोदी के OBC बैकग्राउंड से जल रही है.



राहुल के नैरेटिव को नुकसान

यह घटना राहुल गांधी के नैरेटिव को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है. पटना में बुधवार को जिस तरह भाजपा और कांग्रेस समर्थकों में भिड़ंत हुई, उससे लगता है कि यह मामला और तूल पकड़ेगा. यात्रा का मुख्य फोकस ‘न्याय’ और ‘लोकतंत्र की रक्षा’ था, जो सामाजिक न्याय, समावेशिता और अहिंसा पर आधारित था. मोदी की मां को गाली जैसी घटना ने इसे ‘घृणा और अपमान’ में बदल दिया है, जो विपक्ष के नैरेटिव को यकीनन कमजोर करेगा. भाजपा ने इसे ‘कांग्रेस की हताशा’ बता कर काउंटर नैरेटिव बनाया- ‘मोदी की गरीब मां का अपमान’- जो भावनात्मक रूप से कांग्रेस पर भारी पड़ सकता है. भारत में मां का सम्मान सांस्कृतिक मूल्य है और यह घटना महिलाओं, OBC समुदाय और मोदी समर्थकों को एकजुट कर सकती है. इमेज का जो क्षरण हुआ है, वह अलग है. राहुल की यात्राएं हमेशा ‘एकता और न्याय’ की छवि बनाती रहीं, लेकिन यह घटना ‘स्तरहीन राजनीति’ का लेबल लगा देती है. अमित शाह ने कहा, ‘कांग्रेस जितनी गालियां देगी, भाजपा उतनी जीतेगी।’ यह 2024 चुनावों की तरह, जहां न्याय यात्रा ने कांग्रेस को उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर में लाभ दिया, अब उलटा असर डाल सकता है. बिहार में, जहां विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हैं, यह महागठबंधन को नुकसान पहुंचा सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार ने भी निंदा की है. महिलाओं और OBC वोट बैंक पर असर हो सकता है. यात्रा में महिलाओं के सशक्तीकरण का नैरेटिव था, लेकिन हीराबेन (जो गरीबी में पलीं) का अपमान महिलाओं को अलग कर सकता है. OBC समुदाय, जो मोदी का कोर वोटर है, इसे ‘जातिगत हमला’ मान सकता है. बिहार महिला आयोग का नोटिस इस नैरेटिव को कानूनी रूप से कमजोर करता है. वायरल वीडियो ने भाजपा को नैरेटिव हाईजैक करने का मौका दिया. सोशल मीडिया पर #VoteChori के बजाय #ModiKiMaa ट्रेंड हो गया, जो यात्रा के मुद्दों को पीछे धकेल देता है. पुरानी घटनाओं, जैसे- सोनिया गांधी का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पर टिप्पणी या राहुल का राम मंदिर झूठ, को जोड़कर भाजपा ‘कांग्रेस की एलीट मानसिकता’ का नैरेटिव चला रही है. इंडिया ब्लाक में शामिल नेता, जैसे- स्टालिन, जिन्होंने पहले बिहारियों का अपमान किया, पहले से विवादित हैं. यह घटना गठबंधन को कमजोर कर सकती है, जबकि भाजपा इसे ‘इंडी ठगबंधन’ बता रही है. राहुल का ‘सत्य जीतेगा’ ट्वीट अपर्याप्त लगता है, क्योंकि माफी न मांगने से नैरेटिव ‘अहंकारी विपक्ष’ का हो जाता है. कुल मिला कर, यह घटना यात्रा के नैरेटिव को 20-30% कमजोर कर सकती है. खासकर बिहार के ग्रामीण और महिला वोटरों में. भाजपा को इससे चुनावी लाभ मिल सकता है. जैसा 2024 में न्याय यात्रा के दौरान हुआ था. राहुल को नैरेटिव सुधारने के लिए मुद्दों पर वापस फोकस करना होगा, लेकिन क्षति हो चुकी है.



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