अजय कुमार,लखनऊ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आज 11 अप्रैल के अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी दौरे के एक बार फिर यह साबित कर दिया कि वह(मोदी) न सिर्फ अपने संसदीय क्षेत्र को लेकर गंभीर हैं, बल्कि पूर्वांचल के समग्र विकास के लिए भी लगातार कार्य कर रहे हैं। इस दौरे के दौरान उन्होंने एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, जिनका सीधा लाभ न सिर्फ वाराणसी को बल्कि पूरे पूर्वी उत्तर प्रदेश को मिलेगा। इस दौरान उन्होंने काशीवासियों को संबोधित करते हुए कहा, “काशी के हमरे परिवार के लोगन के हमार प्रणाम। आप सब लोग यहां हमें आपन आशीर्वाद देला। हम ए प्रेम क कर्जदार हईं। काशी हमार हौ, हम काशी क हईं”। प्रधानमंत्री ने 70 वर्ष से अधिक आयु के तीन वरिष्ठ नागरिकों- दिनेश कुमार रावत, राजीव प्रसाद और दुर्गावती देवी को आयुष्मान वय वंदना कार्ड प्रदान किया। इसके अलावा, उन्होंने रमेश कुमार को बनारसी शहनाई और लखीमपुर खीरी की छिती को थारु इंब्रायडरी का जीआई प्रमाण पत्र प्रदान किया।
करखियांव एग्रो पार्क में प्रधानमंत्री ने 622 करोड़ रुपये की लागत से बने बनास काशी संकुल (अमूल प्लांट) का लोकार्पण किया। यह प्लांट अमूल जैसी प्रतिष्ठित संस्था के माध्यम से स्थापित किया गया है और इसका उद्देश्य स्थानीय पशुपालकों को सशक्त बनाना है। अनुमान है कि इस प्लांट से वाराणसी और आसपास के जिलों के लगभग एक लाख पशुपालकों को सीधा लाभ मिलेगा। दूध उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की आधुनिक व्यवस्थाओं से किसानों की आय बढ़ेगी और उन्हें स्थानीय स्तर पर ही अच्छा मूल्य प्राप्त होगा। इसके अलावा, यह प्लांट क्षेत्र में रोजगार के नए द्वार भी खोलेगा, जिससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को काम मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने जिस दूसरी बड़ी परियोजना की आधारशिला रखी, वह वाराणसी-रांची-कोलकाता छह लेन एक्सप्रेसवे निर्माण परियोजना है। यह परियोजना 1,317 करोड़ रुपये की लागत से बनाई जा रही है और इसके पूरा हो जाने पर वाराणसी से कोलकाता की दूरी तय करने में अब तक लगने वाले 15 घंटे घटकर महज 9 घंटे रह जाएगी। यह न केवल यात्रियों के लिए राहत की बात होगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी बड़ा बूस्टर साबित होगा। तेज और सुगम परिवहन से औद्योगिक क्षेत्रों को फायदा मिलेगा और लाजिस्टिक्स सेक्टर को मजबूती मिलेगी। पूर्वांचल को राजधानी कोलकाता से जोड़ने वाली यह हाईस्पीड सड़क भविष्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन सकती है।
इसी क्रम में करखियांव में भेल (भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड) की एडवांस रिसर्च एंड मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की भी आधारशिला रखी गई। यह यूनिट न केवल आधुनिक तकनीक से युक्त होगी, बल्कि यहां भारत सरकार की महत्वाकांक्षी ‘कवच’ प्रणाली का निर्माण भी किया जाएगा। यह प्रणाली भारतीय रेल के लिए एक सुरक्षा कवच के रूप में कार्य करेगी, जो ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने में मददगार साबित होगी। इससे न केवल तकनीकी क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे।
प्रधानमंत्री मोदी का स्वास्थ्य सेवाओं पर भी विशेष जोर रहा। उन्होंने पांडेयपुर में 150 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले 420 बेड के मेडिकल कॉलेज की आधारशिला रखी। यह मेडिकल कॉलेज बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के बाद क्षेत्र का दूसरा बड़ा चिकित्सा संस्थान होगा। इसके बनने से पूर्वांचल के मरीजों को इलाज के लिए लखनऊ या दिल्ली की ओर भागना नहीं पड़ेगा। साथ ही, चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में भी यह संस्थान एक नया अध्याय जोड़ेगा और स्थानीय युवाओं को डॉक्टर बनने का अवसर देगा।
प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल विकास तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने क्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी सम्मान दिया। उन्होंने सीरगोवर्धनपुर स्थित संत रविदास मंदिर में दर्शन-पूजन किया और वहां आयोजित लंगर में भाग भी लिया। इस अवसर पर उन्होंने संत रविदास की प्रतिमा का लोकार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। अपने संबोधन में उन्होंने संत रविदास के सामाजिक समरसता, समानता और सेवा के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया। प्रधानमंत्री का यह भावुक और सादगीपूर्ण पहलू लोगों को काफी प्रभावित करता है, क्योंकि इससे यह संदेश जाता है कि सरकार विकास के साथ-साथ अपनी सांस्कृतिक जड़ों को भी सहेजने का कार्य कर रही है।
वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह दौरा चुनावी वर्ष के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि उन्होंने किसी भी मंच से चुनाव का सीधा जिक्र नहीं किया, लेकिन उनके संबोधनों और विकास परियोजनाओं की प्रस्तुति से यह साफ झलकता है कि वे पूर्वांचल को एक मजबूत और समृद्ध क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए कटिबद्ध हैं। वाराणसी, जो पहले एक धार्मिक नगरी के रूप में जानी जाती थी, अब तेजी से एक औद्योगिक, शैक्षिक और चिकित्सा हब के रूप में उभर रही है।
मोदी सरकार द्वारा पिछले एक दशक में जिस तरह से पूर्वांचल को एक्सप्रेसवे, हवाईअड्डों, स्मार्ट शहरों, रेलवे परियोजनाओं, और मेडिकल-इंजीनियरिंग कॉलेजों से जोड़ा गया है, उससे स्पष्ट है कि यह क्षेत्र अब दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े महानगरों की तर्ज पर विकसित हो रहा है। वाराणसी में चल रही काशी विश्वनाथ कॉरिडोर योजना से लेकर गंगा नदी पर क्रूज टूरिज्म तक, हर क्षेत्र में बदलाव दिखाई दे रहा है।
इस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी संदेश दिया कि विकास केवल शहरों तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि गांव, गरीब, किसान, युवा और महिलाएं उसकी मूल धारा में शामिल हों। यही कारण है कि अमूल प्लांट जैसे प्रोजेक्ट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए लाए गए हैं, जिससे आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो सके।
कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह वाराणसी दौरा न केवल योजनाओं की घोषणाओं तक सीमित रहा, बल्कि उनके ज़मीन पर उतरने के दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है। इस यात्रा ने पूर्वांचल को एक नई ऊर्जा दी है और यह संकेत भी कि आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र उत्तर भारत की अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक नेतृत्व में अहम भूमिका निभाएगा।