कालपी फोरलेन घोटाला: भू-माफिया-राजस्व गठजोड़ ने हड़पे करोड़ों, चंद्रशेखर ने मांगी CBI जांच

उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के कालपी कस्बे में राष्ट्रीय राजमार्ग-27 (एनएच-27) फोरलेन परियोजना के मुआवजा वितरण में कथित तौर पर करोड़ों रुपये के घोटाले का मामला सामने आया है। इस गंभीर मामले को लेकर नगीना लोकसभा सीट से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस घोटाले में भू-माफियाओं और कुछ राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत शामिल है, जिसके कारण वास्तविक भू-स्वामियों को उनका हक नहीं मिला, जबकि गैर-पात्र लोगों को मोटी रकम बांट दी गई। यह मामला न केवल आर्थिक अनियमितता का है, बल्कि सामाजिक और मानवीय संकट का भी प्रतीक बन गया है।

चंद्रशेखर आजाद ने अपने पत्र में बताया कि कालपी के मौजा आलमपुर में यमुना नदी पुल से मंडी समिति तक निर्मित फोरलेन बाईपास परियोजना के लिए साल 2019 में शासन ने 78 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि मुआवजे के लिए जारी की थी। लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी वास्तविक भू-स्वामियों के हाथ खाली हैं। इसके विपरीत, भू-माफियाओं और कुछ अधिकारियों ने सुनियोजित तरीके से गैर-पात्र लोगों को मुआवजा दिलवाया। चंद्रशेखर ने दावा किया कि इस घोटाले में लेखपाल, राजस्व निरीक्षक और नगर पालिका के अधिकारियों का हाथ है। इतना ही नहीं, घोटाले के मास्टरमाइंड ने अपने ससुराल पक्ष और करीबियों को भी अवैध रूप से चेक बांटकर मोटी रकम हड़प ली।

यह मामला कालपी खास, दमदमा और पुरानी बस्ती जैसे क्षेत्रों के उन परिवारों के लिए गहरा दुख लेकर आया है, जो पिछले 17 सालों से अपने हक के लिए दर-दर भटक रहे हैं। इन परिवारों की आजीविका छिन गई है, सामाजिक व्यवस्था चरमरा गई है और बच्चों की शिक्षा व शादी जैसे अहम पहलुओं पर भी गहरा असर पड़ा है। चंद्रशेखर ने इसे सिर्फ एक आर्थिक घोटाला नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर वर्ग के साथ अन्याय का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि यह मामला जनहित से जुड़ा है और इसमें तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

नगीना सांसद ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में चार सूत्री मांगें रखी हैं। पहली, इस घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) या विशेष कार्य बल (एसटीएफ) से कराई जाए। दूसरी, घोटाले में शामिल भू-माफियाओं और अधिकारियों को हिरासत में लेकर सख्त पूछताछ की जाए। तीसरी, वास्तविक भू-स्वामियों को जल्द से जल्द उनका मुआवजा दिलवाया जाए। चौथी, पूरे प्रकरण का भौतिक सत्यापन और सार्वजनिक ऑडिट करवाकर सच्चाई को सामने लाया जाए। चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि यह घोटाला सिर्फ पैसे की हेराफेरी नहीं, बल्कि गरीब और वंचित वर्ग के हक पर डAKA है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश में मुआवजा वितरण में अनियमितताओं का आरोप लगा है। इससे पहले भारतमाला परियोजना में भी मुआवजा घोटाले के मामले सामने आए थे, जहां जल संसाधन विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता पाई गई थी। ऐसे में कालपी का यह मामला और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि इसमें न केवल आर्थिक नुकसान हुआ, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना को भी ठेस पहुंची है। योगी सरकार, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करती है, के लिए यह एक बड़ा इम्तिहान है।

चंद्रशेखर आजाद का यह पत्र सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। कई लोग इसे एक साहसिक कदम मान रहे हैं, जो निचले स्तर पर हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर करता है। वहीं, कुछ लोग इसे राजनीतिक स्टंट के रूप में भी देख रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि इस मामले ने कालपी के उन प्रभावित परिवारों की पीड़ा को सामने लाया है, जो सालों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। अब देखना यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या यह घोटाला उजागर होगा और पीड़ितों को उनका हक मिलेगा, या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? समय ही इसका जवाब देगा।

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