संजय सक्सेना,वरिष्ठ पत्रकार
भारत और अमेरिका के रिश्तों में काफी तेजी से सुधार आ रहा था,अमेरिका में ट्रंप सरकार बनने के बाद तो दोनों देशों में कुछ ज्यादा ही निकटता दिखाई दे रही थी,लेकिन भारत के पाकिस्तान पर किये गये आपरेशन सिंदूर के बाद दोनों देशों के बीच एक बार फिर तनाव देखा जा रहा है। में हालिया तनाव का मुख्य कारण भारत-पाकिस्तान के बीच हुए चार दिवसीय सैन्य संघर्ष के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका और उसके बयानों को लेकर भारत की असहमति है।खासकर कश्मीर मुद्दे पर अमेरिका ने मध्यस्थता करने की बात कहकर भारत को बुरी तरह से नाराज कर दिया।यह सर्वविदित है है भारत ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय माना है और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और व्यापारिक रियायतों की पेशकश की । भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज किया और स्पष्ट किया कि संघर्ष विराम में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी । इस तरह के दावों ने भारत की संप्रभुता पर प्रश्नचिह्न खड़े किए और अमेरिका के प्रति अविश्वास को बढ़ाया।
अमेरिकी राष्ट्रपति के बयानों का भारत में राजनीतिक विरोध हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित भाजपा और कांग्रेस सहित तमाम राजनैतिक दलों ने ट्रंप के कश्मीर पर मध्यस्थता के दावों को खतरनाक बताया और कहा टंªप ने भारत में अमेरिका के प्रति नकारात्मक भावनाओं को और बढ़ावा दिया है। इतना ही नहीं अमेरिकी राष्ट्रपति युद्ध के दौरान अपने व्यवसायिक हित साधने में लगे रहे। ऐसा लग रहा था टंªप दो नावों पर सवारी कराना चाह रहे थे। इतिहास भी गवाह है कि भी अमेरिका ने समय समय पर भारत की इच्छा के विरूद्ध पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान की है, जिससे भारत को हमेशा चिंता रही है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अमेरिका ने पाकिस्तान का समर्थन किया था, जिससे भारत और अमेरिका के संबंधों में तनाव आया था । हालिया संघर्ष में भी अमेरिका की भूमिका को लेकर भारत में संदेह बना रहा।यही वजह थी पाकिस्तान से संघर्ष के दौरान अमेरिका और भारत के बीच व्यापारिक मुद्दों पर भी मतभेद सामने आए।
अमेरिका ने भारत पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की धमकी दी, जबकि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश की। इन व्यापारिक मतभेदों ने भी दोनों देशों के संबंधों में तनाव को बढ़ाया। इसी के चलते भारत ने भी घोषणा कर दी कि वह भी अमेरिका पर टैरिफ बढ़ा सकता है।ऐसा लग रहा है जैसे अमेरिका संभवता भारत से इस लिये चिढ़ा हुआ है क्योंकि भारत अमेरिका के मुकाबले रूस को ज्यादा अहमियत देता है। रूस और इजरायल के साथ भारत के सैन्य समझौते भी होते हैं। वैसे भी रूस के भारत से संबंध काफी पुराने और विश्वसनीय हैं।कुल मिलाकर यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत और अमेरिका के बीच हालिया तनाव का मुख्य कारण अमेरिका की मध्यस्थता के दावे, पाकिस्तान को समर्थन, और व्यापारिक मतभेद हैं। भारत ने हमेशा अपनी संप्रभुता और द्विपक्षीय मुद्दों पर किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार किया है। अमेरिका के बयानों और कार्यों ने भारत में अमेरिका के प्रति अविश्वास को बढ़ाया है, जिससे दोनों देशों के संबंधों में तनाव आया है।