तेजस्वी के पास दो वोटर कार्ड ? चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर दो वोटर आईडी कार्ड रखने का गंभीर आरोप लगाया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब तेजस्वी ने शनिवार, 2 अगस्त 2025 को दावा किया कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) के तहत जारी नई मतदाता सूची में उनका नाम शामिल नहीं है। हालांकि, निर्वाचन आयोग ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए इसे निराधार बताया। रविवार को बीजेपी ने तेजस्वी पर दो वोटर आईडी कार्ड रखने का आरोप लगाते हुए इसे अपराध करार दिया। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि तेजस्वी ने 2020 के चुनावी हलफनामे में जिस मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) का जिक्र किया था, वह उनके शनिवार को उल्लेखित वोटर आईडी से अलग है। पात्रा ने सवाल उठाया, “क्या तेजस्वी ने शपथ लेकर झूठ बोला? क्या उन्होंने निर्वाचन आयोग के सामने गलत तथ्य पेश किए?”

बीजेपी ने आरोप लगाया कि तेजस्वी और उनकी पार्टी आरजेडी, कांग्रेस के साथ मिलकर निर्वाचन आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं की साख को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। पात्रा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनका ‘एटम बम’ वाला दावा, जिसमें उन्होंने बीजेपी पर चुनावी धांधली का आरोप लगाया था, महज एक “फुस्स पटाखा” साबित हुआ। उन्होंने यह भी दावा किया कि दो वोटर आईडी रखने का मामला आरजेडी कार्यकर्ताओं द्वारा दो जगहों पर वोट डालकर अपनी पार्टी का समर्थन बढ़ाने की रणनीति को उजागर करता है।

निर्वाचन आयोग ने तेजस्वी यादव के दावे को खारिज करते हुए रविवार को उन्हें पत्र लिखकर उस मतदाता पहचान पत्र की जानकारी मांगी, जिसके बारे में उन्होंने दावा किया था। आयोग ने कहा कि तेजस्वी द्वारा उल्लेखित वोटर आईडी आधिकारिक रूप से जारी नहीं किया गया था और उन्हें इसे जांच के लिए सौंपने को कहा गया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि बिहार की मसौदा मतदाता सूची में तेजस्वी का नाम मौजूद है, जिससे उनके नाम हटाए जाने का दावा गलत साबित होता है।

बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर आरजेडी और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। पात्रा ने कहा कि तेजस्वी जैसे नेता यदि दो वोटर आईडी रख सकते हैं, तो उनके कार्यकर्ताओं के कार्यकलापों पर भी सवाल उठते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी दल भारत की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए झूठ का सहारा ले रहे हैं। यह विवाद बिहार की राजनीति में नया तनाव पैदा कर सकता है, क्योंकि दोनों पक्ष इस मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर हमलावर हैं। निर्वाचन आयोग की जांच के नतीजे इस मामले में और स्पष्टता ला सकते हैं।

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