फर्जी डेटा देने वाले संजय कुमार पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी मेहरबानी

सुप्रीम कोर्ट ने आज 25 अगस्त को एक महत्वपूर्ण फैसले में चुनाव विशेषज्ञ और लोकनीति-सीएसडीएस के सह-निदेशक संजय कुमार के खिलाफ महाराष्ट्र चुनाव से संबंधित गलत मतदाता डेटा पोस्ट करने के आरोप में दर्ज दो प्राथमिकियों (एफआईआर) के बाद उनकी गिरफ्तारी के साथ-साथ आश्चर्यजनक रूप से कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव विशेषज्ञ संजय कुमार को सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए महाराष्ट्र की मतदाता सूची से जुड़ी गलत जानकारी फैलाने के आरोप में चुनाव आयोग की ओर से दर्ज कराई गई दो एफआईआर के सिलसिले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की,लेकिन संजय के कृत्य के खिलाफ की गई कार्रवाई पर भी रोक लगा कर सबको चौका दिया। यह मामला तब सुर्खियों में आया था, जब संजय कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में मतदाता संख्या में भारी कमी का दावा किया था,इसके बाद कांग्रेस,राष्ट्रीय जनता दल और समाजवादी पार्टी सहित तमाम इंडी गठबंधन के नेताओं ने मोदी सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगा कर तूफान खड़ा कर दिया था, जबकि यह आकड़े बाद में गलत पाया गया और संजय कुमार ने इसके लिये माफी भी मांग ली थी।
बता दे 17 अगस्त 2025 को संजय कुमार ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया था कि महाराष्ट्र के रामटेक और देवलाली विधानसभा क्षेत्रों में 2024 के लोकसभा चुनाव की तुलना में विधानसभा चुनाव में मतदाताओं की संख्या में क्रमशः 38.4 और 36.82 फीसदी की कमी आई है। इस पोस्ट ने विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, को चुनाव आयोग और मोदी सरकार की मिलीभगत का आरोप लगाते हुए सवाल उठाने का मौका दे दिया, वैसे भी यह दल पहले से ही वोट चोरी के आरोपों के साथ आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे थे। हालांकि, संजय कुमार ने दो दिन बाद, 19 अगस्त को, अपनी गलती स्वीकार करते हुए पोस्ट हटा ली और सार्वजनिक माफी मांगी। उन्होंने कहा, ष्महाराष्ट्र चुनावों से संबंधित ट्वीट्स के लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं। 2024 के लोकसभा और विधानसभा डेटा की तुलना में गलती हुई।
बहरहाल,मामले की गंभीरता को देखते हुए नागपुर और नासिक पुलिस ने संजय कुमार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 175 (चुनाव से संबंधित गलत बयान), 353(1)(बी) (सार्वजनिक अशांति फैलाने वाले बयान), 212 (सार्वजनिक सेवक को गलत जानकारी देना), और 340 (जाली दस्तावेजों का उपयोग) के तहत दो एफआईआर दर्ज की। नागपुर में रामटेक के तहसीलदार और नासिक में जिला निर्वाचन अधिकारी की शिकायत पर ये मामले दर्ज किए गए।
आज सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने संजय कुमार को तत्काल राहत प्रदान की है। कोर्ट ने दोनों एफआईआर की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कहा कि इस मामले में और जांच की आवश्यकता है। कोर्ट का यह कदम उस समय आया है जब चुनाव आयोग और विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस, के बीच मतदाता सूची में हेरफेर के आरोपों को लेकर तनाव चरम पर है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र और बिहार में मतदाता सूची में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए वोटर अधिकार यात्रा शुरू की है।
इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आरोप लगाया था कि संजय कुमार की गलती को कांग्रेस के वोट चोरी अभियान को कमजोर करने के लिए इस्तेमाल किया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, संजय कुमार ने स्वीकार किया कि उनका डेटा गलत था। इसके आधार पर कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर हमला बोला।दूसरी ओर, कांग्रेस ने दावा किया कि उनकी शिकायतें आधिकारिक चुनाव आयोग डेटा पर आधारित थीं, न कि सीएसडीएस के डेटा पर।
यह मामला न केवल चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाता है, बल्कि शैक्षणिक स्वतंत्रता और डेटा विश्लेषण के दुरुपयोग के मुद्दों को भी सामने लाता है। इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) ने भी सीएसडीएस को नोटिस जारी कर डेटा की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस विवाद को और गहरा सकता है, क्योंकि यह चुनाव आयोग की कार्रवाइयों और विपक्ष के आरोपों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करता है।

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