प्रशांत महासागर में सुनामी: जापान से रूस तक तबाही

सुबह का सन्नाटा अचानक तेज़ हवाओं और धरती के कंपन से टूट गया। जापान के होक्काइडो द्वीप के पास समुद्र तल के नीचे एक भयंकर भूस्खलन हुआ, जिसने पूरे प्रशांत क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। समुद्र की गहराइयों में उठी हलचल ने विशाल लहरों को जन्म दिया, जो सुनामी बनकर तटों की ओर बढ़ीं। रूस के कामचटका प्रायद्वीप और जापान के उत्तरी तटों पर ये लहरें तबाही का संदेश लेकर पहुंचीं। कामचटका के छोटे से तटीय गांव येलिज़ोवो में मछुआरे सुबह की तैयारी में थे, जब ज़मीन ने अचानक डगमगाना शुरू किया। रिक्टर स्केल पर 8.8 तीव्रता का भूकंप दर्ज हुआ, जिसका केंद्र समुद्र तल से मात्र 19 किलोमीटर नीचे था। मछुआरों ने अपनी नावें छोड़कर ऊंचे स्थानों की ओर भागना शुरू किया, क्योंकि समुद्र में अशांति साफ दिख रही थी। कुछ ही मिनटों में चार मीटर ऊंची लहरें तट से टकराईं, मकानों को बहा ले गईं और सड़कों को जलमग्न कर दिया।

जापान में स्थिति और भी गंभीर थी। होक्काइडो के नेमुरो शहर में 30 सेंटीमीटर की पहली लहर ने चेतावनी दी कि बदतर अभी बाकी है। जापान की मौसम एजेंसी ने तुरंत अलर्ट जारी किया, जिसमें तीन मीटर तक ऊंची लहरों की आशंका जताई गई। फुकुशिमा न्यूक्लियर प्लांट, जो 2011 की सुनामी की भयावह यादों से अभी तक उबर नहीं पाया था, को तुरंत खाली कराया गया। टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया, और पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। होक्काइडो से ओसाका तक के तटीय इलाकों में लाखों लोगों को ऊंचे स्थानों पर जाने का आदेश दिया गया। सायरन की आवाज़ और आपातकालीन संदेशों ने शहरों को डर के माहौल में डुबो दिया।

रूस के कुरील द्वीपों में भी सुनामी ने कहर बरपाया। सेवेरो-कुरील्स्क में लहरें तटीय इमारतों को निगल गईं, और स्थानीय गवर्नर ने बताया कि लगभग 2700 लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गए। प्रशांत महासागर के अन्य हिस्सों, जैसे हवाई और गुआम, में भी सुनामी की चेतावनी जारी की गई। हवाई में छह फीट ऊंची लहरें देखी गईं, जिसने तटीय सड़कों को बंद कर दिया। अमेरिका के पश्चिमी तट और अलास्का में भी सतर्कता बरती गई। जापान में, रियो तात्सुकी नाम की भविष्यवक्ता की भविष्यवाणी एक बार फिर चर्चा में थी, जिन्होंने जुलाई 2025 में सुनामी की चेतावनी दी थी। उनकी बातों को पहले नज़रअंदाज़ किया गया, लेकिन अब लोग उनकी सटीकता पर हैरान थे। तबाही के बीच, राहत और बचाव कार्य तेज़ी से शुरू हुए। जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने लोगों से शांत रहने और तटों से दूर रहने की अपील की। रूस में, स्थानीय प्रशासन ने बंदरगाहों को हुए नुकसान का आकलन शुरू किया। दोनों देशों में लाखों लोग डर और अनिश्चितता के साये में जी रहे थे, जबकि समुद्र की गहराइयों में छिपी शक्ति ने एक बार फिर प्रकृति की अप्रत्याशित ताकत को उजागर किया।

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