हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में भगदड़ से मौतों पर पीएम दुखी

हरिद्वार में मनसा देवी मंदिर में भगदड़ से मौतों पर पीएम दुखी

उत्तराखंड में हिन्दुओं की धार्मिक नगरी हरिद्वार में सिद्धी पीठ माने जाने वाले मनसा देवी मंदिर में रविवार को एक दुखद घटना घटी, जिसमें भगदड़ के कारण 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह हादसा उस समय हुआ जब हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए एकत्र हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भीड़ के अनियंत्रित होने और संकरी सीढ़ियों पर अचानक धक्का-मुक्की शुरू होने से यह त्रासदी हुई।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दुखद घटना पर शोक व्यक्त किया है।

पुलिस और प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किए। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया, जहाँ कुछ की हालत गंभीर बताई जा रही है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और घायलों के मुफ्त इलाज की घोषणा की। उन्होंने कहा, ष्यह एक दुखद घटना है, और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।ष्

मनसा देवी मंदिर, जो हरिद्वार के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है, सावन के महीने में विशेष रूप से भीड़भाड़ वाला होता है। इस समय कांवड़ यात्रा के कारण भी श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन ने मंदिर में प्रवेश के लिए नए दिशानिर्देश जारी करने की बात कही है, जिसमें सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को एक समय में प्रवेश की अनुमति और बेहतर सुरक्षा उपाय शामिल हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस घटना पर शोक व्यक्त किया और ट्वीट किया, ष्हरिद्वार में हुई इस त्रासदी से मन व्यथित है। मेरी संवेदनाएँ मृतकों के परिवारों के साथ हैं, और मैं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।ष् उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

यह घटना धार्मिक स्थलों पर सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन के मुद्दों को फिर से सामने लाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीक का उपयोग, जैसे कि ऑनलाइन बुकिंग और सीसीटीवी निगरानी, ऐसी घटनाओं को रोकने में मदद कर सकता है। स्थानीय लोगों ने भी मांग की है कि मंदिर परिसर में अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए जाएँ और आपातकालीन निकास मार्गों की व्यवस्था की जाए।

 

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