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सरकार चाहती तो बच जाती बेटी की जान। निर्दोष बेटी फांसी पर चढ़ गई। नहीं बचा पाई भारत सरकार अपनी बेटी की जान। यह बात फोन पर रो-रोकर शहजादी के पिता शब्बीर ने कही।मटौंध थाना क्षेत्र के गोयरा मुगली गांव निवासी शब्बीर खान की बेटी शहजादी रोटी बैंक सोसाइटी से जुड़कर समाजसेवा का काम करती थी। फेसबुक के जरिए उसकी दोस्ती आगरा के रहने वाले उजैर पुत्र मतलूब से हो गई। नाटकीय ढंग से दिसंबर 2021 में इलाज कराने के नाम पर शहजादी को उजैर अपने शहर आगरा ले गया। वहां उसका टूरिस्ट वीजा बनवाया और दुबई में रह रहे आगरा निवासी दंपति फैज अहमद व नादिया के पास भेज दिया। जहां पर उसे नियोक्ता के बच्चे की देखभाल के लिए नियुक्ति किया गया।
सात दिसंबर 2022 को बच्चे को टीका लगाया गया और उसी दिन उसकी मौत हो गई। पोस्टमार्टम की सिफारिश के बावजूद माता-पिता ने कराने से इनकार कर दिया। जांच रोकने के सहमति पत्र पर हस्ताक्षर भी किए, लेकिन फरवरी माह में अचानक एक वीडियों रिकार्डिंग में बच्चे की हत्या स्वीकार करते हुए दिखाया गया।
10 फरवरी 2023 को यूएई पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। 31 जुलाई 2023 को अदालत ने उसे फांसी की सजा सुना दी। बेटी को बचाने के लिए पिता ने काफी हाथ-पैर पटके। बेटी को बहला-फुसलाकर आगरा ले जाने और वहां से दुबई में बेच देने सहित धोखाधड़ी आदि का मुकदमा मटौंध थाने में दर्ज कराया। लेकिन, उसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद अमर उजाला टीम ने शहजादी प्रकरण को एक अभियान के तहत चलाया। इस मुहिम में तमाम राजनैतिक दल, समाजसेवी, अधिवक्ता, जनप्रतिनिधि बांदा की बेटी को बचाने के लिए सड़क पर उतर आए। बावजूद उसकी जान बच नहीं सकी।