दुर्गंध बनाम सुगंध : अखिलेश के बयान पर भाजपा का पलटवार

 

अजय कुमार

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाल ही में एक नया विवाद उभरकर सामने आया है, जिसमें समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी हो रही है। कन्नौज में एक जनसभा के दौरान अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा के लोग दुर्गंध पसंद करते हैं, इसलिए गौशाला बना रहे हैं। हम सुगंध पसंद कर रहे थे, इसलिए इत्र पार्क बना रहे थे।” उनके इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया और भाजपा नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।

भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा ने अखिलेश यादव के बयान की आलोचना करते हुए कहा, “आप गौशाला में सुगंध और दुर्गंध क्यों तलाश रहे हो? गौशाला में सनातन की आस्था तलाशो।” उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव के कार्यकाल में गौवंश की देखरेख पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए थे, जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने गौशालाओं के निर्माण को प्राथमिकता दी है। दिनेश शर्मा ने आगे कहा कि जब उन्होंने लखनऊ में कान्हा उपवन प्रोजेक्ट बनाया था, तब तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव उसे देखने पहुंचे थे और उन्होंने फोन कर बधाई दी थी। इससे यह स्पष्ट होता है कि समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता गौशालाओं के महत्व को समझते थे, लेकिन अब अखिलेश यादव की बयानबाजी उनकी बदलती सोच को दर्शाती है।

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने भी अखिलेश यादव के बयान की निंदा करते हुए कहा, “अखिलेश यादव के विचारों से दुर्गंध आती है और उनका बयान सनातन संस्कृति और गौमाता का अपमान करने वाला है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे बयान तुष्टिकरण की राजनीति का प्रतीक हैं और सनातन आस्था का अपमान करने वालों को जनता जवाब देगी। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद संबित पात्रा ने अखिलेश यादव पर सनातन धर्म के विरोध का आरोप लगाते हुए कहा, “अखिलेश यादव का बयान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि वे अपनी संस्कृति और परंपराओं से कट चुके हैं। यह देश सनातन का अपमान नहीं सहेगा।”

इस विवाद के बीच, अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी सरकार कन्नौज में इत्र उद्योग को बढ़ावा देकर सुगंध फैला रही थी, जबकि भाजपा सरकार गौशालाओं के माध्यम से दुर्गंध फैला रही है। उन्होंने सरकार से पूछा कि क्या वह आवारा पशुओं की समस्या का समाधान कर रही है या नहीं। अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी लोग विकास और खुशहाली चाहते हैं। कन्नौज में रहकर हमने भाईचारे की सुगंध दी है। भाजपा के लोगों की नफरत की दुर्गंध है। कन्नौज के सुगंध वाले लोगों से कहूंगा कि भाजपा की दुर्गंध को हटाएं। अभी तो थोड़ी हटी है, अगली बार और हटा दो, जिससे कन्नौज का रुका हुआ विकास और आगे बढ़ जाए।

भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने अखिलेश यादव के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि अखिलेश यादव को अवैध स्लॉटर हाउस से खुशबू आती है। अखिलेश सरकार में बड़े पैमाने पर अवैध स्लॉटर हाउस चलते थे, जबकि योगी सरकार में गौशालाओं का निर्माण हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पशुपालन करने वाली बिरादरी की राजनीति करने वाले अखिलेश यादव के इस बयान को समाज स्वीकार नहीं करेगा। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि मुगलिया सोच अखिलेश पर इतनी हावी है कि वह लगातार भारतीय सनातन संस्कृति और मूल्यों का अपमान कर रहे हैं।

कन्नौज सांसद और भाजपा नेता सुब्रत पाठक ने अखिलेश यादव के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा गौ माता का सम्मान करती है। अखिलेश यादव ने अपनी सरकार में गौकशी केंद्र खुलवाए थे, आज उनके बंद होने से उन्हें पीड़ा हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव के बयान से स्पष्ट होता है कि उन्हें गौ माता के प्रति कोई सम्मान नहीं है और वे सिर्फ राजनीतिक फायदे के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं।

इस विवाद के बीच, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी अखिलेश यादव के बयान पर तीखा पलटवार किया है। केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि किसान, ख़ासकर ग्वाल के बेटे को अगर गाय के गोबर से दुर्गंध आने लगे तो समझना चाहिए कि वह अपनी जड़ों और समाज से पूरी तरह कट चुका है। कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने लिखा था कि किसान के बेटे को अगर गोबर से दुर्गंध आने लगे तो अकाल तय है। उन्होंने यह भी कहा कि सपा अब समाप्त वादी पार्टी में तब्दील हो रही है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद आगामी चुनावों के मद्देनजर दोनों पार्टियों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा का संकेत है। गौशालाओं और इत्र पार्कों को लेकर शुरू हुई यह बहस अब सांस्कृतिक और धार्मिक मुद्दों तक पहुंच गई है, जिससे उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल मच गई है। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में विकास और आस्था से जुड़े मुद्दे किस तरह से राजनीतिक दलों के बीच विवाद का कारण बन सकते हैं। अखिलेश यादव और भाजपा नेताओं के बीच यह बयानबाजी दर्शाती है कि दोनों पार्टियां अपने-अपने समर्थकों को साधने के लिए किसी भी मुद्दे को भुनाने से पीछे नहीं हटतीं।

यह विवाद तब और बढ़ गया जब भाजपा नेताओं ने अखिलेश यादव के बयान को सनातन धर्म और गौमाता का अपमान बताया। भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा, “अखिलेश यादव हिंदू आस्था का अपमान करते हैं और कहते हैं कि गाय और गौशालाएं दुर्गंध फैलाती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव के इस बयान से उनकी मानसिकता का पता चलता है और यह दर्शाता है कि वे तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।

आगामी दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस दिशा में जाता है और क्या यह उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म देगा। फिलहाल, यह विवाद राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है, जिसमें विकास, संस्कृति और आस्था के मुद्दे आपस में गुथे हुए नजर आते हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस तरह के विवाद पहले भी होते रहे हैं, लेकिन इस बार का विवाद इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे तौर पर आस्था और संस्कृति से जुड़ा हुआ है। इस विवाद ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि राजनीतिक दल इन मुद्दों को अपने-अपने तरीके से भुनाने की पूरी कोशिश करते हैं।

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