दिल्ली के सीएम की ताजपोशी 20 को,नाम अभी तक अनिश्चित

समाचार मंच

दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? यह सवाल राजनीति में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हालांकि दिल्ली विधानसभा चुनाव के परिणाम आए हुए एक हफ्ते से ज्यादा समय हो गया है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अब तक अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है। इस बीच, बीजेपी ने सीएम की ताजपोशी के लिए तारीख का ऐलान कर दिया है। पार्टी के सूत्रों के अनुसार, 20 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनके कैबिनेट के मंत्री, बीजेपी के राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ-साथ सहयोगी दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।यह समय दिल्ली की राजनीति के लिए अहम है, क्योंकि बीजेपी दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में लौटी है। इसलिए, पार्टी इस बार मुख्यमंत्री के चयन में सियासी गणित को भी ध्यान में रखकर निर्णय लेने की तैयारी में है। बीजेपी का हर कदम राजनीतिक रणनीति से जुड़ा होता है, और मुख्यमंत्री का नाम तय करने में भी यह रणनीति स्पष्ट रूप से देखने को मिल रही है।

कौन हो सकता है दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री?

दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए कई प्रमुख नेता चर्चा में हैं। सबसे पहले प्रवेश वर्मा का नाम लिया जा रहा है। उन्होंने नई दिल्ली सीट से अरविंद केजरीवाल को हराकर बड़ी जीत दर्ज की थी, और यह सीट सत्ता की धुरी मानी जाती है। शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल दोनों इस सीट से मुख्यमंत्री बने थे, जिससे वर्मा का नाम सबसे आगे चला है।इसके अलावा, जनकपुरी से विधायक और दिल्ली बीजेपी के महासचिव आशीष सूद का नाम भी इस दौड़ में शामिल है। आशीष सूद पंजाबी समाज से आते हैं, और उनकी केंद्रीय नेतृत्व से अच्छी नजदीकियां बताई जाती हैं। इसके अलावा, शालीमार बाग से विधायक रेखा गुप्ता, रोहिणी के विधायक विजेंद्र गुप्ता, और मालवीय नगर के विधायक सतीश उपाध्याय भी संभावित दावेदारों में शामिल हैं।

जातीय और क्षेत्रीय समीकरण

बीजेपी हमेशा जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री चुनती है। दिल्ली में करीब 25ः पूर्वांचली वोटर हैं, इसलिए पार्टी किसी पूर्वांचली नेता को मौका दे सकती है। प्रवेश वर्मा, जो जाट समुदाय से आते हैं, इस लिहाज से मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।इसके अलावा, पंजाबी समुदाय भी बीजेपी का कोर वोट बैंक माना जाता है, और आशीष सूद जैसे नेताओं पर भी दांव खेला जा सकता है। विजेंदर गुप्ता और रेखा गुप्ता जैसे नाम वैश्य समाज के वोटों को ध्यान में रखते हुए उभर रहे हैं, जो बीजेपी का परंपरागत वोटर रहा है।

बीजेपी का सरप्राइज फैक्टर

बीजेपी का राजनीति में अक्सर सरप्राइज फैक्टर देखने को मिलता है। कई बार पार्टी ने ऐसे चौंकाने वाले फैसले किए हैं, जिनसे राजनीतिक समीकरण बदल गए। जैसे हरियाणा में जाट बहुल प्रदेश होने के बावजूद मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया गया, महाराष्ट्र में मराठा राजनीति के दबदबे के बावजूद देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाया गया। इसी तरह, मध्य प्रदेश में यादव समाज को साधने के लिए मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया।दिल्ली में भी बीजेपी इस बार कोई सरप्राइज दे सकती है, जो न सिर्फ दिल्ली के बल्कि अन्य राज्यों के राजनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।

पीएम मोदी और अमित शाह की रणनीति

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पहले ही कह दिया है कि पार्टी चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री के नाम पर निर्णय कर लेती है और बस सही समय पर इसका ऐलान करती है। इस लिहाज से माना जा सकता है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री के नाम का फैसला पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही ले लिया होगा।अब यह देखना बाकी है कि बीजेपी किसे दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाती है और इसके माध्यम से वह कौन सा सियासी संदेश देना चाहती है।

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