समाचार मंच संवाददाता
सुप्रीम कोर्ट में आज, 5 मई 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने इस मामले से खुद को अलग कर लिया है, और अब इन याचिकाओं की अगली सुनवाई 15 मई को न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता में होगी। इससे पहले, 17 अप्रैल को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह वक्फ संपत्तियों के संबंध में कोई नई अधिसूचना जारी न करे और केंद्रीय व राज्य वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति न करे, जब तक कि अगली सुनवाई न हो।वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 को लेकर अब तक 70 से अधिक याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं, जिनमें असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, क्डज्ञ, और कांग्रेस सांसदों इमरान प्रतापगढ़ी व मोहम्मद जावेद शामिल हैं।इन याचिकाओं में मुख्य रूप से यह तर्क दिया गया है कि यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और संपत्ति के अधिकारों का उल्लंघन करता है, विशेष रूप से गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सरकारी हस्तक्षेप के प्रावधानों को लेकर। अब, 15 मई को होने वाली अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट इन याचिकाओं पर विस्तृत विचार करेगा और यह तय करेगा कि इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों पर अंतरिम रोक लगाई जाए या नहीं।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जो 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, ने खुद को इस मामले से अलग करते हुए कहा कि वह अंतिम निर्णय सुरक्षित नहीं रखना चाहते, इसलिए यह मामला नई पीठ को सौंपा गया है। पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया था कि वह 5 मई तक वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं करेगी और न ही केंद्रीय वक्फ काउंसिल या राज्य वक्फ बोर्डों में कोई नई नियुक्ति करेगी। सवाल यह है कि 17 अप्रैल को भी तो जस्टिस खन्ना को पता था कि वह 13 मई को रिटायर्ड्र हो जायेंगे फिर उन्होंने उस दिन सुनवाई क्यों की थी,उस दिन भी वह इसको नई पीठ को सौंप सकते थे।उधर, केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का बचाव किया है और कहा है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता। सरकार ने यह भी दावा किया है कि 2013 के संशोधन के बाद वक्फ संपत्तियों में 116ः की वृद्धि हुई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी, जिसमें नई पीठ द्वारा याचिकाओं पर विचार किया जाएगा।