समाचार मंच संवाददाता
नई दिल्ली,पाकिस्तान अपनी हठधर्मी और आतंकपरस्ती के चलते बर्बादी की कगार पर पहुंचता जा रहा है। 8 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर तनाव एक बार फिर उच्च स्तर पर पहुँच गया है। ताजा घटनाक्रम में भारतीय वायुसेना ने एक सटीक और योजनाबद्ध सैन्य कार्रवाई के तहत पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाकर सफलतापूर्वक ध्वस्त कर दिया। यह कदम भारतीय सीमाओं पर हो रही लगातार घुसपैठ और आतंकी गतिविधियों के जवाब में उठाया गया है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, यह ऑपरेशन रात के अंधेरे में अत्याधुनिक सुखोई-30डज्ञप्, मिराज-2000 और राफेल लड़ाकू विमानों की सहायता से अंजाम दिया गया। भारतीय वायुसेना ने इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और उच्च सटीकता वाले स्टैंड-ऑफ हथियारों का उपयोग करते हुए पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित प्रमुख एयर डिफेंस रडार सिस्टम और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल बैटरियों को सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया।सूत्रों के अनुसार, यह ऑपरेशन बालाकोट स्ट्राइक से कहीं अधिक जटिल और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था। इस अभियान में भारतीय वायुसेना ने बिना सीमा पार किए अपनी संप्रभुता बनाए रखते हुए दुश्मन की रक्षात्मक क्षमताओं को पंगु कर दिया।
गत कुछ महीनों से पाकिस्तान की ओर से लगातार संघर्षविराम का उल्लंघन और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा एवं जैश-ए-मोहम्मद की घुसपैठ की कोशिशें तेज हो गई थीं। भारत ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी थी कि यदि यह रवैया जारी रहा तो जवाबी कार्रवाई की जाएगी। इसके बावजूद जब 1 मई को पुंछ जिले में एक सैन्य काफिले पर घातक हमला हुआ, जिसमें पाँच जवान शहीद हो गए, तब भारत ने यह निर्णायक कदम उठाने का फैसला किया।
इस कार्रवाई पर दुनिया भर की नजरें टिकी थीं। अमेरिका, फ्रांस और जापान जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को स्वीकार करते हुए संयम और बातचीत की अपील की है। वहीं, पाकिस्तान ने इस हमले को श्आक्रामकताश् करार देते हुए संयुक्त राष्ट्र में मामला उठाने की बात कही है।
देश भर में इस कार्रवाई को लेकर जबरदस्त समर्थन देखने को मिल रहा है। सोशल मीडिया पर श्जय हिन्दश् और श्भारत माता की जयश् जैसे नारों की बाढ़ आ गई है। विपक्षी दलों ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार के इस कदम का समर्थन किया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई केवल एक सैन्य ऑपरेशन नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है कि भारत अब श्नई नीतिश् के तहत हर खतरे का मुंहतोड़ जवाब देगा। साथ ही, सरकार ने स्पष्ट किया है कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन किसी भी प्रकार की आक्रामकता को सहन नहीं करेगा।
बहरहाल, भारत की इस कार्रवाई ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह केवल कूटनीतिक विरोध या सीमित प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जरूरत पड़ने पर निर्णायक सैन्य विकल्प भी अपनाएगा। यह ऑपरेशन न केवल पाकिस्तान को, बल्कि उन ताकतों को भी चेतावनी है जो भारत की संप्रभुता को चुनौती देना चाहते हैं।