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की अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस इन दिनों जब ब्रिटेन पहुंचे, तो उन्हें वहां भी तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। लंदन की सड़कों पर सैकड़ों बांग्लादेशी मूल के लोगों ने एकजुट होकर यूनुस के खिलाफ प्रदर्शन किया और उनके होटल के बाहर जोरदार नारेबाजी की। ष्वापस जाओ यूनुसष् जैसे नारों के बीच प्रदर्शनकारियों ने यूनुस को अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ाने, कानून व्यवस्था बिगाड़ने और लोकतंत्र की आवाज़ दबाने का दोषी ठहराया।
यह प्रदर्शन सिर्फ यूनुस की उपस्थिति का विरोध नहीं था, बल्कि यह बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति के प्रति गुस्से की एक अंतरराष्ट्रीय अभिव्यक्ति बन गया। प्रदर्शनकारियों में अवामी लीग की ब्रिटेन शाखा और अन्य संगठनों से जुड़े कई लोग शामिल थे। उनके हाथों में ऐसे पोस्टर थे जिनमें यूनुस को “जिहादियों को रिहा करने वाला” और “देशभक्तों को जेल में डालने वाला” बताया गया। लोगों ने आरोप लगाया कि यूनुस की नीतियाँ न केवल तानाशाही प्रवृत्ति की हैं, बल्कि यह देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को भी कुचल रही हैं।
बांग्लादेश इन दिनों राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। चुनावों की घोषणा को लेकर गहराता संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। देश की सेना, अवामी लीग और प्रमुख विपक्षी पार्टी बीएनपी (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी) सभी जल्द चुनाव की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद यूनुस चुनाव की तारीख टालते आ रहे हैं, जिससे जनाक्रोश और असंतोष बढ़ता जा रहा है।यूनुस ने हाल ही में यह घोषणा की कि अप्रैल 2026 तक चुनाव कराए जाएंगे। लेकिन बीएनपी ने इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हुए दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने की मांग की है। बीएनपी के वरिष्ठ नेता मुशर्रफ हुसैन ने कहा, “बांग्लादेश अराजकता के मुहाने पर खड़ा है। सरकार अगर जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरती है तो हमारा समर्थन जारी रखना मुश्किल होगा।”
अंतरिम सरकार पर केवल चुनाव टालने का ही नहीं, बल्कि सत्ता के दुरुपयोग का भी आरोप लगाया जा रहा है। यूनुस प्रशासन पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने, लिंचिंग की घटनाओं को अनदेखा करने और विपक्षी नेताओं को जेल में डालने के आरोप लग रहे हैं। जनता का विश्वास डगमगाता नजर आ रहा है और कई वर्ग सड़कों पर उतर आए हैं। छात्रों, अल्पसंख्यकों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों ने एक सुर में मौजूदा प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यूनुस की कथित तानाशाही शैली और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नजरअंदाज करने के कारण, देश का माहौल दिनोंदिन विस्फोटक होता जा रहा है। विरोध प्रदर्शन अब केवल बांग्लादेश तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इसकी गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सुनाई देने लगी है, जैसा कि लंदन में देखा गया।
लंदन में हुआ विरोध प्रदर्शन केवल एक घटना नहीं, बल्कि यह बांग्लादेश सरकार के लिए एक बड़ा चेतावनी संकेत है। बांग्लादेशी डायस्पोरा अब खामोश नहीं है। यूनुस की यात्रा ने प्रवासी समुदाय को भी झकझोर दिया है। न केवल नारेबाजी, बल्कि प्रदर्शनकारियों की मांगें भी स्पष्ट थीं दृ ’’ष्यूनुस इस्तीफा दो, बांग्लादेश को लोकतंत्र दो। हालांकि यूनुस ने चुनाव कराने की बात कही है, लेकिन बार-बार की गई तारीखों की टालमटोल से उनका भरोसा कमजोर पड़ता जा रहा है। बीएनपी और अन्य विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द चुनावों की घोषणा नहीं की जाती, तो देश की स्थिति और बिगड़ सकती है। सत्ताविरोधी आंदोलन अब और भी आक्रामक रूप ले सकता है। लंदन में हुए विरोध ने यह साबित कर दिया है कि यूनुस की नीतियों के खिलाफ अब वैश्विक स्तर पर भी असंतोष है। यदि यह विरोध नजरअंदाज किया गया, तो यह बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य के लिए गंभीर संकट बन सकता है।