अजय कुमार,वरिष्ठ पत्रकार
देश की नामचीन कम्पनियों में एआई का प्रकोप दिखने लगा है। बड़ी-बड़ी कम्पनियां अपने स्टाफ की छंटनी कर रही हैं। भारत सरकार ने एआई के प्रयोग को लेकर यदि कोई नियम कानून नहीं बनायें तो इसका व्यापक प्रभाव तममा बड़ी-छोटी कम्पनियों में देखने को मिल सकता है। जिससे बड़ी संख्या में देश में बेरोजगारी का प्रकोप बढ़ सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की वजह से कई कंपनियों में छंटनी की जा रही है। हाल ही में टीसीएस की चर्चा जोरों से रही, अब इस छंटनी वाली कड़ी में सेल्सफोर्स का नाम जुड़ गया है। अमेरिकी क्लाउड सॉफ्टवेयर की दिग्गज कंपनी ने 4,000 नौकरियों में कटौती की है। यह छंटनी कस्टमर सपोर्ट एग्जीक्यूटिव की है। अब इनका काम एआई करेगा।
छंटनी की खबर खुद सेल्सफोर्स के सीईओ मार्क बेनिओफ ने पॉडकास्ट पर दी है। उन्होंने बताया कि सपोर्ट टीम में कर्मचारियों की संख्या 9,000 से घटाकर 5,000 कर दी गई है। बेनिओफ ने कहा, मैं अपने सपोर्ट स्टाफ की संख्या को फिर से संतुलित करने में कामयाब रहा। मैंने इसे 9,000 से घटाकर लगभग 5,000 कर दिया क्योंकि मुझे कम कर्मचारियों की जरूरत थी। यानी सेल्सफोर्स के सपोर्ट डिपार्टमेंट का लगभग आधा हिस्सा छोटा कर दिया गया है।उधर, टीसीएस ने इस साल अपने अधिकतर कर्मचारियों की सैलरी 4.5 से 7 प्रतिशत तक बढ़ाई है, मगर इससे पहले कंपनी ने करीब 12,000 कर्मचारियों की छंटनी भी की थी, जिससे देशभर में विरोध देखने को मिला था। बता दें उक्त के अलावा माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गूगल, मेटा एवं अन्य आईटी कंपनियों में भी 2025 में भारी पैमाने पर छंटनी हुई है।
टीसीएस, देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी, ने 2025 में अपने 80 प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन में 4.5 से 7 फीसदी तक बढ़ोतरी की घोषणा की। यह बढ़ोतरी मुख्यतः जूनियर एवं मिड-लेवल कर्मचारियों के लिए है, जबकि शीर्ष प्रदर्शन करने वालों को इससे ज्यादा फायदा हुआ है। कंपनी की तिमाही रिपोर्ट के अनुसार, एट्रीशन दर 13.8 प्रतिशत पहुंच गई थी, यानी कर्मचारियों का कंपनी छोड़ना बढ़ा है। टीसीएस की यह वेतन वृद्धि सितंबर 2025 से लागू होगी, जिससे कर्मचारियों में काफी उत्साह है।गौरतलब हो वर्ष 2025 में टीसीएस ने 12,000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की, जो उसके कुल कार्यबल का लगभग 2 प्रतिशत है। छंटनी के पीछे कंपनी ने मार्केट की अनिश्चितता, एआई, ऑटोमेशन और कड़ाई से लागू नई बेंच नीति को वजह बताया, जिसमें गैर-प्रोजेक्ट दिनों की सीमा तय की गई। टीसीएस के इस कदम का कई राज्यों में विरोध हुआ और कर्मचारियों के संगठन जैसे एनआईटीईइस तथा कर्नाटक यूनियन ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने श्रम कानून के उल्लंघन का आरोप भी लगाया।
बहरहाल, 2025 में सिर्फ टीसीएस ही नहीं, बल्कि माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, गूगल, मेटा, सेल्सफोर्स, पैनासोनिक जैसी कई दिग्गज तकनीकी कंपनियों में बड़े स्तर पर छंटनी देखने को मिली है। इंटेल ने अकेले 25,000 कर्मचारियों को निकालने की योजना बनाई है, जबकि माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, मेटा, एचपी, अमेजन व सेल्सफोर्स जैसी कंपनियां भी छंटनी की लिस्ट में शामिल रही। कंपनियों में लागत में कटौती, कार्यप्रणाली में बदलाव, एआई व ऑटोमेशन की वजह से छंटनी का माहौल बना है, जिससे हजारों कर्मचारियों की आजीविका पर संकट आया। आगे चलकर कंपनियां एआई और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर निवेश बढ़ा रही हैं, जिसके चलते नौकरियों की अनिश्चितता बनी रहेगी।प्रमुख कंपनियों में 2025 में हुई छंटनी की बात की जाये तो टीसीएस में 12,000+ कारण एआई, ऑटोमेशन, रणनीतिक बदलाव, इंटेल में 25,000+ वजह लागत, पुनर्गठन, एआई के चलते रोजी-रोटी से हाथ होना पड़ा है।इसी तरह माइक्रोसॉफ्ट में लागत कटौती, बिजनेस रीफार्म, गूगल में बिजनेस संरचना में बदलाव, मेटा में एआई, ऑटोमेशन के चलते, सेल्सफोर्स में लागत में कटौती के चलते हजारों कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है । वही पैनासोनिक 10,000+ कर्मचारियों को लागत, कार्यशैली में बदलाव के चलते बाहर का रास्ता दिखाया गया है।