अगर क्लर्क को सस्पेंड किया जा सकता है तो पीएम-सीएम को क्यों नहींः मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शुक्रवार को बिहार के गया में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने हाल ही में पेश किए गए उस विधेयक का बचाव किया जो जेल में बंद प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्रियों को पद से हटाने का प्रावधान करता है। मोदी ने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि अगर एक साधारण क्लर्क को 48 घंटे की जेल के बाद नौकरी से निलंबित किया जा सकता है, तो फिर पीएम या सीएम को क्यों नहीं? इस बयान से रैली में मौजूद हजारों समर्थकों में जोश भर गया, और विपक्षी नेता इस पर भड़क उठे।यह रैली बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर आयोजित की गई थी, जहां एनडीए गठबंधन मजबूत स्थिति में है, लेकिन विपक्षी महागठबंधन लगातार मोदी सरकार पर हमले कर रहा है। मोदी ने अपने भाषण में कहा, ष्हमने देखा है कि कैसे जेल से फाइलें साइन की जाती थीं। एक ड्राइवर, क्लर्क या चपरासी को 50 घंटे जेल में रहने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ता है, लेकिन सीएम, मंत्री या पीएम जेल से सरकार चला सकते हैं? यह दोहरा मापदंड भ्रष्टाचार से लड़ाई में बाधा है।ष् उन्होंने आगे कहा कि एनडीए ने इस अन्याय को खत्म करने के लिए कानून में बदलाव किया है, अब पीएम भी जवाबदेह होगा।

इस विधेयक की पृष्ठभूमि समझना जरूरी है। दो दिन पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में दो विधेयक पेश किए, जिनमें कहा गया है कि अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री 48 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रहता है, तो वह पद पर नहीं रह सकता। शाह ने कहा कि यह राजनीति में नैतिक मानकों को बहाल करने के लिए है। उन्होंने उदाहरण दिया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए तो 48 घंटे की हिरासत पर निलंबन स्वतरू हो जाता है, लेकिन नेताओं के लिए ऐसा क्यों नहीं? मोदी ने खुद इस ड्राफ्ट को फिर से तैयार करवाया ताकि पीएम भी इसके दायरे में आए।विपक्ष ने इस विधेयक को लोकतंत्र की हत्या करार दिया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन के लिए जेल में डालकर सत्ता से हटा सकती है, भले ही आरोप साबित न हों। उन्होंने इसे मोदी सरकार की साजिश बताया, खासकर उन राज्यों में जहां विपक्ष की सरकारें हैं। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस जैसे दल इस पर भड़के हुए हैं, क्योंकि यह सीधे उनके नेताओं को निशाना बनाता प्रतीत होता है।मोदी का यह तंज स्पष्ट रूप से बिहार की राजनीति से जुड़ा है। राज्य में लालू प्रसाद यादव का इतिहास सभी को याद है। 1990 के दशक में चारा घोटाले में दोषी ठहराए जाने के बावजूद, लालू ने जेल से अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाकर सरकार चलाई थी। मोदी ने अप्रत्यक्ष रूप से इसी पर निशाना साधा, जब उन्होंने कहा कि हमने देखा है कैसे जेल से फाइलें साइन होती थीं। यह बयान आरजेडी पर सीधा हमला था, जो बिहार में एनडीए के खिलाफ मुख्य विपक्ष है।

रैली में मोदी ने बिहार की विकास योजनाओं पर भी बात की। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और शिक्षा पर हजारों करोड़ रुपये खर्च किए हैं। बिहार अब जंगलराज से निकलकर विकास की राह पर है, उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा लेकिन मुख्य फोकस भ्रष्टाचार पर रहा। मोदी ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि कांग्रेस, आरजेडी और वामपंथी दल नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं क्योंकि वे जवाबदेही नहीं चाहते।बहरहाल, मोदी सरकार का यह विधेयक राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है। समर्थकों का कहना है कि यह भ्रष्टाचार मुक्त भारत की दिशा में कदम है। आलोचकों का तर्क है कि यह विपक्ष को कमजोर करने की साजिश है, क्योंकि जांच एजेंसियां केंद्र के नियंत्रण में हैं। बिहार जैसे राज्य में, जहां भ्रष्टाचार के मामले अक्सर राजनीतिक हथियार बनते हैं, यह विधेयक चुनावी मुद्दा बन सकता है।मोदी की रैली में सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। हजारों की भीड़ ने मोदी-मोदी के नारे लगाए। भाषण के दौरान उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हों। यह कानून सबके लिए समान है, चाहे पीएम हो या क्लर्क। मोदी के बयान पर विपक्ष की प्रतिक्रिया तेज रही। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा कि मोदी खुद कई मामलों में घिरे हैं, लेकिन कानून उनके लिए अलग है। कांग्रेस ने संसद में हंगामा किया, मांग की कि विधेयक पर बहस हो। लेकिन मोदी सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि यह सुशासन का हिस्सा है।बिहार की राजनीति में यह बयान नया मोड़ ला सकता है। एनडीए को इससे फायदा मिल सकता है, क्योंकि राज्य में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा है। वहीं, विपक्ष इसे संघीय ढांचे पर हमला बता रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक संसद में पास होता है या नहीं, और बिहार चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है।इस रैली ने एक बार फिर साबित किया कि मोदी विपक्ष पर हमले में कोई कसर नहीं छोड़ते। उनका यह तंज न सिर्फ बिहार बल्कि पूरे देश की राजनीति में गूंजेगा।

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