उत्तर प्रदेश में सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को लेकर एक बार फिर चर्चा गरम है। हाल ही में, मुरादाबाद में पुलिस द्वारा आयोजित एक बैठक ने सुर्खियां बटोरीं, जिसमें कथित तौर पर मुस्लिम बैंड वालों को अपने बैंड के नामों से हिंदू देवी-देवताओं के नाम हटाने का आदेश दिया गया। यह निर्देश उस समय सामने आया जब कुछ समय पहले होटलों, रेस्तरां और ढाबों के नामों को लेकर भी इसी तरह का विवाद सामने आया था। इस नए कदम ने स्थानीय समुदायों में बहस को जन्म दिया है, और लोग इस आदेश के पीछे के कारणों और इसके सामाजिक प्रभावों पर सवाल उठा रहे हैं।
मुरादाबाद, जो अपनी पीतल की हस्तकला के लिए ब्रास सिटी के नाम से प्रसिद्ध है, एक सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से विविध शहर है। यहां हिंदू, मुस्लिम और अन्य समुदाय सदियों से एक साथ रहते आए हैं। हाल के वर्षों में, उत्तर प्रदेश में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों पर कई नीतिगत बदलाव देखने को मिले हैं, जिनमें से कुछ ने विवाद को जन्म दिया है। मुरादाबाद में हुई इस बैठक में, पुलिस अधिकारियों ने स्थानीय बैंड संचालकों, विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय से जुड़े बैंड वालों, के साथ चर्चा की। सूत्रों के अनुसार, यह बैठक सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और संभावित विवादों को रोकने के लिए बुलाई गई थी।
पुलिस का कहना था कि कुछ बैंड्स, जो मुख्य रूप से शादियों और अन्य समारोहों में प्रदर्शन करते हैं, अपने नामों में हिंदू देवी-देवताओं जैसे शिव, कृष्ण, दुर्गा या हनुमान जैसे नामों और फोटो का उपयोग करते हैं। जिस पर हिन्दू संगठनों द्वारा आपति जताई थी। इसके बाद यह बात कुछ स्थानीय संगठनों और व्यक्तियों की शिकायत का कारण बनी, जिन्होंने इसे धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ माना। पुलिस ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और बैंड संचालकों को सलाह दी कि वे अपने बैंड के नामों को तटस्थ रखें ताकि किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।
गौरतलब हो, मुरादाबाद में बैंड व्यवसाय मुख्य रूप से छोटे स्तर के उद्यमियों और कारीगरों द्वारा चलाया जाता है, जिनमें से कई मुस्लिम समुदाय से हैं। इन बैंड्स का उपयोग शादियों, धार्मिक जुलूसों और सामाजिक समारोहों में किया जाता है। स्थानीय बैंड संचालक मोहम्मद शकील, जिनके बैंडबाजे का नाम शिव शक्ति बैंड है, ने इस आदेश पर निराशा जताई। उन्होंने कहा हमने अपने बैंड का नाम शिव शक्ति इसलिए रखा क्योंकि यह हमारे ग्राहकों को आकर्षित करता है। इसमें कोई धार्मिक विवाद नहीं था। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और हमारे बैंड में हिंदू और मुस्लिम दोनों कर्मचारी हैं।
इसी तरह, एक अन्य बैंड संचालक, राशिद खान, ने बताया कि उनके बैंड का नाम कृष्ण म्यूजिकल ग्रुप है, और यह नाम पिछले 15 सालों से चल रहा है। हमारा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है। यह सिर्फ एक व्यावसायिक नाम है, जो लोगों को पसंद आता है। अब हमें इसे बदलने के लिए कहा जा रहा है, जो हमारे लिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से मुश्किल है।
बहरहाल, इस आदेश ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे राज्य में बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे धार्मिक संवेदनशीलता को बनाए रखने का प्रयास मानते हैं, जबकि अन्य इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ एक पक्षपातपूर्ण कदम के रूप में देखते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील प्रिया शर्मा ने इस मुद्दे पर सवाल उठाते हुए कहा,‘यह आदेश संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। अगर कोई बैंड संचालक अपनी मर्जी से कोई नाम रखता है और उसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं है, तो पुलिस को इसमें हस्तक्षेप करने का क्या अधिकार है? वहीं, कुछ हिंदू संगठनों ने इस कदम का समर्थन किया है। मुरादाबाद के एक हिंदू संगठन के नेता ने कहा कि हिंदू देवी-देवताओं के नामों का उपयोग व्यावसायिक लाभ के लिए करना अनुचित है।