अखिलेश का डिजिटल वार ‘समाजवादी टीवी’ से गांव-गांव तक पहुंचने की कोशिश

2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अभी से तेज हो चुकी हैं। इस बार समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने तेवर और रणनीति में नया रंग भरते हुए डिजिटल मोर्चे पर जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ डिजिटल युद्ध का ऐलान कर दिया है, और इसके लिए एक मेगा प्लान तैयार किया है, जिसका केंद्र बिंदु है सोशल मीडिया और यूट्यूब जैसे डिजिटल मंच। हाल ही में समाजवादी पार्टी ने अपने आधिकारिक यूट्यूब चैनल ‘समाजवादी पार्टी टीवी’ को लॉन्च किया है, जो उनकी इस डिजिटल रणनीति का हिस्सा है। इस चैनल के जरिए अखिलेश यादव हर रात 9 बजे जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं, जिसे मशहूर रेडियो एंकर नावेद सिद्दीकी प्रस्तुत कर रहे हैं। इस कदम ने न केवल सियासी हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि यह भी सवाल उठाया है कि क्या सपा की यह डिजिटल सक्रियता 2027 के चुनाव में गेम-चेंजर साबित होगी?

समाजवादी पार्टी की यह डिजिटल रणनीति कोई आकस्मिक कदम नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है, जिसका मकसद जनता के दिल और दिमाग तक पहुंचना है। सपा ने यह समझ लिया है कि आज के दौर में सोशल मीडिया केवल एक मंच नहीं, बल्कि जनमत तैयार करने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया के दम पर न केवल अपनी विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया, बल्कि मतदाताओं को प्रभावित करने में भी सफलता हासिल की। अब सपा भी इसी रास्ते पर चल पड़ी है। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्टिविस्ट्स की एक बड़ी और प्रशिक्षित टीम तैयार की है, जो पार्टी की नीतियों, उपलब्धियों और बीजेपी सरकार की कमियों को डिजिटल मंचों के जरिए जनता तक पहुंचाने का काम कर रही है। इस टीम का लक्ष्य है कि सपा की आवाज न केवल शहरों, बल्कि गांव-गांव तक पहुंचे। इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, एक्स और फेसबुक जैसे मंचों का इस्तेमाल किया जा रहा है।सपा की इस रणनीति में ‘समाजवादी पार्टी टीवी’ एक महत्वपूर्ण कड़ी है। इस चैनल पर हर रात 9 बजे अखिलेश यादव के बयानों और पार्टी की गतिविधियों को ‘पार्टी अपडेट्स’ के तहत प्रसारित किया जाता है। यह चैनल न केवल पार्टी की उपलब्धियों को उजागर कर रहा है, बल्कि बीजेपी सरकार की नाकामियों को भी तथ्यों और आंकड़ों के साथ जनता के सामने ला रहा है। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “हमारा मकसद है कि पार्टी की नीतियां और जनता के सरोकार से जुड़े मुद्दे पारदर्शिता के साथ लोगों तक पहुंचें। यह चैनल जनता और पार्टी के बीच एक सेतु का काम करेगा।” इस चैनल का लिंक (https://youtube.com/@samajwadipartytv) जनता के लिए खुला है, और सपा ने लोगों से इसे सब्सक्राइब करने की अपील की है ताकि वे पार्टी की गतिविधियों से जुड़े रहें।

सपा की यह डिजिटल रणनीति पूरी तरह से 2027 के चुनाव को ध्यान में रखकर बनाई गई है। उन्होंने कहा, “सपा यह सब बहुत सोच-समझकर कर रही है। इसका सीधा मकसद वोटरों तक पहुंचना है। आज के समय में सोशल मीडिया जनता के बीच अपनी बात रखने का सबसे प्रभावी माध्यम है, और सपा इसे भुनाने की कोशिश कर रही है।” सपा प्रवक्ता उदयवीर सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की कि पार्टी सोशल मीडिया के विस्तार पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा, “हमने अपनी सोशल मीडिया रणनीति को और व्यवस्थित किया है। हमारे समर्थक और विरोधी दोनों हमारी विचारधारा को इन मंचों के जरिए समझ सकते हैं। हम इसका और विस्तार करेंगे ताकि जनता तक हमारी बात पहुंचे।”सपा की इस रणनीति में गाने, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट वीडियो क्लिप्स का भी खासा महत्व है। पार्टी ने बीजेपी सरकार की कमियों, जैसे बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था, शिक्षा और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों को उजागर करने के लिए कई डॉक्यूमेंट्री तैयार करने की योजना बनाई है। इनमें तथ्यों, आंकड़ों और वास्तविक कहानियों का इस्तेमाल किया जाएगा ताकि जनता के बीच विश्वसनीयता बनी रहे। सपा सांसद आनंद भदौरिया ने कहा, “हम 2027 में धमाकेदार वापसी करेंगे। इन वीडियो और डॉक्यूमेंट्री के जरिए हम शहरी और ग्रामीण दोनों तबकों तक पहुंचेंगे।” इसके अलावा, सपा ने जिला स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप बनाए हैं, जिनके जरिए ये कंटेंट ग्रासरूट स्तर तक पहुंचाया जा रहा है। कुछ गाने और शॉर्ट वीडियो पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, हालांकि अभी इन्हें अखिलेश यादव या किसी बड़े नेता ने आधिकारिक तौर पर लॉन्च नहीं किया है।

सपा की इस डिजिटल रणनीति का एक और महत्वपूर्ण पहलू है छोटे-मझोले नेताओं को पार्टी में शामिल करना। अखिलेश यादव ने 2027 के लिए क्षेत्रीय प्रभाव वाले नेताओं को अपने पाले में लाने की रणनीति अपनाई है। हाल ही में महेंद्र राजभर जैसे नेताओं की सपा में एंट्री ने बीजेपी-सुभासपा गठबंधन को चुनौती देने की उनकी योजना को और मजबूती दी है। इसके साथ ही, सपा दलित और पिछड़े वर्ग के वोटरों को गोलबंद करने पर भी ध्यान दे रही है। राणा सांगा विवाद और बाबा साहेब अंबेडकर पर केंद्रित कार्यक्रमों के जरिए सपा सामाजिक न्याय के एजेंडे को धार दे रही है। वरिष्ठ विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है, “अखिलेश जानते हैं कि कांग्रेस के साथ गठबंधन से दलित वोटरों का समर्थन बना रहेगा। उनकी रणनीति साफ है- छोटे-मझोले नेताओं के सहारे सामाजिक गठबंधन बनाकर बीजेपी को चुनौती देना।”हालांकि, सपा की इस डिजिटल रणनीति के सामने कई चुनौतियां भी हैं। बीजेपी की सोशल मीडिया मशीनरी पहले से ही काफी मजबूत है, और उसने पिछले एक दशक में डिजिटल मंचों पर अपनी पकड़ बनाई है। इसके अलावा, बीजेपी भी दलित और ओबीसी वोटरों को अपनी ओर खींचने के लिए नई रणनीतियों पर काम कर रही है। बीजेपी संगठन ने दलित और पिछड़े वर्ग के युवाओं को जोड़ने के लिए गुपचुप तरीके से कार्यक्रम शुरू किए हैं, जो सपा के लिए चुनौती बन सकते हैं। फिर भी, सपा की यह डिजिटल रणनीति निश्चित रूप से एक नया प्रयोग है, जो युवा और ग्रामीण मतदाताओं को आकर्षित करने में कारगर हो सकता है। सपा की यह रणनीति कितनी सफल होगी, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इतना तय है कि अखिलेश यादव ने डिजिटल युग में अपनी पार्टी को नई दिशा देने की कोशिश की है। ‘समाजवादी पार्टी टीवी’ और सोशल मीडिया के जरिए जनता से सीधा संवाद स्थापित करने की यह पहल न केवल सपा की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि 2027 का चुनावी रण डिजिटल मोर्चे पर भी लड़ा जाएगा। सपा की इस रणनीति ने सियासी गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है, और अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह डिजिटल सेना बीजेपी की मजबूत मशीनरी को टक्कर दे पाएगी?

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