योगी के उर्जा मंत्री के बयानों में बिजली से ज्यादा करेंट !

अजय कुमार,लखनऊ
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा एवं नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा, जिन्हें एके शर्मा के नाम से जाना जाता है, कभी राजनेता नहीं रहे,वह एक पूर्व ब्यूरोक्रेट्स हैं। इसी के चलते अक्सर वह ऐसा कुछ बोल जाते हैं जिससे विवाद खड़ा हो जाता है। अपनी इसी बढ़ बोलेपन वाली कार्यशैली और विवादित बयानों के कारण हाल के दिनों में उर्जा मंत्री लगातार चर्चा में बने हुए हैं। कभी अपने प्रशासनिक अनुभव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी के रूप में पहचाने जाने वाले शर्मा अब बिजली विभाग में कथित लापरवाही, अधिकारियों पर सख्ती और अपने बयानों से उपजे विवादों के कारण सुर्खियों में हैं। उनकी कार्यशैली जहां कुछ लोगों के लिए सुधारवादी और सख्त प्रशासक की छवि बनाती है, वहीं दूसरों के लिए यह विवादों को जन्म देने वाली साबित हो रही है।
एके शर्मा, 1988 बैच के गुजरात कैडर के पूर्व आईएएस अधिकारी, ने 2021 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर यूपी की राजनीति में कदम रखा तो उन्हें तुरंत विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया,कहा यह जाने लगा कि शर्मा को मंत्री भी बनाया जायेगा,ऐसा इसलिये सही भी लग रहा था क्योंकि एके शर्मा मोदी के काफी करीबी थे,लेकिन सीएम योगी ने उन्हें अपने पहले कार्यकाल में जबरदस्त दबाव के बाद भी मंत्री नहीं बनाया। शर्मा मंत्री तब बने जब दोबारा बीजेपी चुनाव जीत कर आई और योगी ने एक बार फिर से शपथ ली। उन्हें ऊर्जा और नगर विकास विभाग का मंत्री बनाया गया। ऊर्जा और नगर विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभालने वाले शर्मा ने शुरू में अपनी कार्यकुशलता और अनुशासित दृष्टिकोण से सबका ध्यान भी खींचा। उन्होंने बिजली आपूर्ति में सुधार और विभागीय भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में कई कदम उठाए। हालांकि, हाल के महीनों में उनकी कार्यशैली और बयानबाजी ने उन्हें विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया है।
हाल ही में, शर्मा ने बिजली विभाग के अधिकारियों पर जमकर नाराजगी जताई। एक समीक्षा बैठक में उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि बिजली विभाग कोई ष्बनिए की दुकानष् नहीं है, बल्कि जनसेवा का माध्यम है। इस बयान ने न केवल बिजली कर्मचारियों बल्कि वैश्य समाज के बीच भी विवाद को जन्म दिया। कई संगठनों ने इसे अपने समुदाय पर कटाक्ष मानकर विरोध जताया। शर्मा को सोशल मीडिया पर स्पष्टीकरण देना पड़ा, जिसमें उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी वर्ग को ठेस पहुंचाना नहीं था, बल्कि वे केवल जनसेवा और व्यापार के बीच अंतर रेखांकित करना चाहते थे। उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया ताकि उनकी बात को सही संदर्भ में समझा जाए।
इसके अलावा, शर्मा का बिहार में मुफ्त बिजली योजना पर दिया गया बयान भी खासा चर्चा में रहा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, बिहार में बिजली फ्री है, लेकिन जब बिजली आएगी ही नहीं तो बिल आएगा ही नहीं, हो गई फ्री।ष् इस बयान ने न केवल बिहार सरकार बल्कि विपक्षी दलों को भी हमला करने का मौका दे दिया। सोशल मीडिया पर यह बयान वायरल हो गया, और शर्मा को फिर से सफाई देनी पड़ी। उनके इस बयान को कई लोगों ने उत्तर प्रदेश में बिजली आपूर्ति की कमियों को छिपाने की कोशिश के रूप में देखा।
मुरादाबाद में एक कार्यक्रम के दौरान बिजली गुल होने की घटना ने भी शर्मा को असहज स्थिति में डाल दिया। उनके ही कार्यक्रम में 10 मिनट तक बिजली आपूर्ति बाधित रही, जिसके बाद पांच वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया। इस घटना को प्रशासनिक विफलता के रूप में देखा गया, और शर्मा की सख्त कार्रवाई ने विभाग में हड़कंप मचा दिया। हालांकि, इस कार्रवाई को कुछ लोगों ने उनकी सख्त प्रशासकीय छवि का हिस्सा माना, तो कुछ ने इसे दिखावटी कदम करार दिया।
शर्मा ने हाल ही में बस्ती जिले के एक अधीक्षण अभियंता का ऑडियो वायरल किया, जिसमें अधिकारी एक उपभोक्ता के साथ अमर्यादित बातचीत करते सुनाई दिए। इस ऑडियो को शेयर कर शर्मा ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि जनता के प्रति संवेदनशीलता जरूरी है। इस कदम से जहां कुछ लोग उनकी पारदर्शिता की सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे विभागीय असफलताओं से ध्यान भटकाने की रणनीति मान रहे हैं।
सोशल मीडिया पर शर्मा की सक्रियता भी चर्चा का विषय रही है। वे अक्सर अपनी उपलब्धियों और विभागीय सुधारों को एक्स पर साझा करते हैं, लेकिन उनके कुछ बयानों और पोस्ट ने विवाद को हवा दी। उदाहरण के लिए, जय श्री राम के नारे को लेकर उनकी टिप्पणी ने कुछ लोगों को नाराज किया, जिन्होंने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश माना।
कुल मिलाकर शर्मा की कार्यशैली को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। जहां कुछ लोग उनके सख्त रवैये को बिजली विभाग में सुधार की दिशा में जरूरी मानते हैं, वहीं अन्य इसे अनावश्यक रूप से आक्रामक और विवादास्पद मानते हैं। उनके बयानों और कार्रवाइयों ने न केवल विपक्ष बल्कि उनकी अपनी पार्टी के कुछ नेताओं को भी असहज किया है। वैसे एके शर्मा का कार्यकाल उपलब्धियों और विवादों का मिश्रण रहा है। उनकी सख्ती और सुधारवादी दृष्टिकोण ने बिजली विभाग में कुछ बदलाव जरूर लाए हैं, लेकिन उनकी बयानबाजी और कार्यशैली ने उन्हें विवादों का केंद्र भी बनाया है। भविष्य में उनके कदम और बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में उनकी स्थिति को और स्पष्ट करेंगे।

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