धर्मांतरण सरगना छांगुर बाबा की कोठी पर चला बुलडोजर

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उटरौला कस्बे में एक ऐसी घटना ने सुर्खियां बटोरीं, जिसने न केवल स्थानीय लोगों को चौंकाया, बल्कि पूरे राज्य में हलचल मचा दी। यह कहानी है जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की, जिसे अवैध धर्मांतरण के एक बड़े रैकेट का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। यूपी एटीएस ने इस मामले में कड़ा कदम उठाते हुए छांगुर बाबा और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन को गिरफ्तार किया, और अब उसकी आलीशान कोठी को बुलडोजर से ढहाने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। यह कोठी, जो मधुपुर गांव में सरकारी जमीन पर अवैध रूप से बनाई गई थी, छांगुर बाबा के काले कारनामों का मुख्य अड्डा थी। इस कोठी को नीतू उर्फ नसरीन के नाम पर दर्ज किया गया था, लेकिन जांच में पता चला कि इसका निर्माण छांगुर बाबा के धन से हुआ था।

कभी साइकिल पर नग और अंगूठियां बेचने वाला छांगुर बाबा, जिसका असली नाम जमालुद्दीन है, महज कुछ सालों में 100 करोड़ रुपये की संपत्ति का मालिक बन गया। उसकी कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। दस साल पहले तक वह रेहरा माफी गांव में फेरी लगाकर पत्थर और नग बेचा करता था। उसका पुश्तैनी मकान अब खंडहर में तब्दील हो चुका है, लेकिन मधुपुर गांव में उसने एक महलनुमा कोठी खड़ी कर ली। इसके अलावा, उसने पुणे में 16 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी, कई लग्जरी गाड़ियां और फर्जी संस्थाओं का जाल बिछाया। जांच एजेंसियों के अनुसार, छांगुर बाबा ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर न केवल बलरामपुर, बल्कि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक संगठित धर्मांतरण नेटवर्क स्थापित किया।

यूपी एटीएस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में छांगुर बाबा को लखनऊ के विकास नगर इलाके में एक होटल से गिरफ्तार किया गया। वह और उसकी सहयोगी नीतू उर्फ नसरीन करीब 80 दिनों तक स्टार रूम्स होटल में छिपे हुए थे। होटल के रजिस्टर के अनुसार, उन्होंने 16 अप्रैल से 5 जुलाई तक वहां समय बिताया। छांगुर बाबा पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था, और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी हो चुका था। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि उसने 40 से 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा की थी, और उसके नेटवर्क को विदेशी फंडिंग के जरिए 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि मिली थी। इस फंडिंग का इस्तेमाल वह अपने रैकेट को चलाने और संपत्ति खरीदने में करता था।

छांगुर बाबा का नेटवर्क बेहद सुनियोजित था। वह खुद को हाजी पीर जलालुद्दीन या सूफी संत के रूप में प्रचारित करता था। उसने श्शिजर-ए-तैय्यबाश् नाम की एक पुस्तक भी छपवाई, जिसके जरिए वह इस्लाम का प्रचार करता था। उसका टारगेट मुख्य रूप से गरीब, असहाय और जरूरतमंद लोग थे, खासकर हिंदू और गैर-मुस्लिम समुदाय की लड़कियां। जांच में सामने आया कि उसने हर जाति की लड़कियों के लिए श्रेटश् तय कर रखा था। ब्राह्मण, क्षत्रिय या सरदार लड़कियों का धर्मांतरण कराने पर 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जाति की लड़कियों के लिए 10-12 लाख रुपये और अन्य जातियों की लड़कियों के लिए 8-10 लाख रुपये दिए जाते थे। यह राशि विदेशी फंडिंग के जरिए आती थी, जिसका लेन-देन 40 से अधिक बैंक खातों के माध्यम से होता था।

छांगुर बाबा का यह रैकेट केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था। वह लोगों को प्रलोभन, डर और धोखे का सहारा लेता था। कई मामलों में उसने हिंदू लड़कियों को मुस्लिम युवकों के साथ निकाह करवाने के लिए धोखे का इस्तेमाल किया। उदाहरण के तौर पर, मानवी शर्मा नाम की एक महिला ने बताया कि एक रुद्र शर्मा नामक युवक ने उन्हें छांगुर बाबा से मिलने की सलाह दी थी, यह कहकर कि बाबा उनके पति की शराब की लत छुड़वा देंगे। लेकिन बाद में पता चला कि रुद्र शर्मा वास्तव में मेराज अंसारी था, और उसने धोखे से उनका निकाह करवा दिया।

जांच में यह भी सामने आया कि छांगुर बाबा ने मुंबई के एक परिवारकृनवीन घनश्याम रोहरा, उनकी पत्नी नीतू और बेटी समालेकृका 2015 में दुबई में धर्मांतरण करवाया था। इसके बाद उन्होंने अपने नाम बदलकर जमालुद्दीन, नसरीन और सबीहा रख लिए। यह परिवार मधुपुर में छांगुर बाबा के साथ रहता था। नीतू उर्फ नसरीन ने 2014 से 2019 तक 19 बार यूएई की यात्रा की, जबकि नवीन ने 2016 से 2020 तक 19 बार। इन यात्राओं का उद्देश्य अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन एटीएस का मानना है कि यह विदेशी फंडिंग से जुड़ा हो सकता है।

छांगुर बाबा के इस रैकेट में कई अन्य लोग भी शामिल थे, जिनमें उसका बेटा महबूब, मोहम्मद अहमद खान, पिंकी हरिजन, हाजिरा शंकर और एमेन रिजवी जैसे नाम सामने आए हैं। मोहम्मद अहमद खान, जो छांगुर बाबा का राइट हैंड माना जाता था, फिलहाल फरार है और उसके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी हो चुका है। जांच एजेंसियों ने इस रैकेट के 18 सदस्यों की पहचान की है, जिनमें से चार को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इस पूरे मामले ने स्थानीय सिख और सिंधी समुदाय में आक्रोश पैदा कर दिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस तरह के कृत्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। एटीएस ने इस मामले में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सौंपी है, और अब मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू हो सकती है। छांगुर बाबा की संपत्ति, जो उसने अवैध फंडिंग से बनाई थी, अब कुर्क की जा रही है। मंगलवार सुबह 10रू30 बजे बलरामपुर प्रशासन ने मधुपुर की कोठी पर बुलडोजर चलाना शुरू किया। यह कार्रवाई सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए की गई, और इसके लिए नीतू उर्फ नसरीन को तीन नोटिस पहले ही जारी किए जा चुके थे।

यह मामला न केवल धर्मांतरण की साजिश को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे विदेशी फंडिंग और संगठित नेटवर्क के जरिए सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी। छांगुर बाबा की गिरफ्तारी और उसकी संपत्ति पर बुलडोजर की कार्रवाई ने यह संदेश दिया है कि ऐसे कृत्यों के खिलाफ सरकार और प्रशासन सख्त रुख अपनाने को तैयार हैं। जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में इस रैकेट की और परतें खुलने की संभावना है।

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