ठेका तो नाम का शिक्षक बने ‘डिलीवरी बॉय’, किताबें पहुंचाने में ठेकेदार की चांदी

बांसवाड़ा. निशुल्क पाठ्यपुस्तक वितरण के नाम पर शिक्षा विभाग में अनियमितता सामने आई है। पाठ्यपुस्तक मंडल के अमरदीप स्थित बांसवाड़ा डिपो से ब्लॉकों व स्कूलों तक पुस्तकें पहुंचाने की जिम्मेदारी ठेकेदार को सौंपी गई है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि कई शिक्षक निजी खर्चे पर किताबें खुद ही अपने स्कूल तक पहुंचा रहे हैं। इससे ठेकेदार को काम अधूरा और पैसा पूरा मिलना तय है। नियमों के अनुसार शिक्षक किताबों को निजी वाहनों से नहीं ले जा सकते, क्योंकि यह काम निविदा प्रक्रिया के तहत अधिकृत ठेकेदार को ही करना है। ठेकेदार को वजन के आधार पर भुगतान किया जाना तय है। बावजूद इसके शिक्षकों से एक प्रार्थना पत्र लेकर पुस्तकें निजी वाहनों में लोड करने की अनुमति दी जा रही है। इससे नियमों का उल्लंघन के साथ ही ठेकेदार के पक्ष में अनुचित लाभ पहुंचाने की भी आशंका है। उल्लेखनीय है कि पाठ्यक्रम में बदलाव व देरी से प्रकाशन कारण प्रदेश में इस बार 20 जून से निशुल्क पुस्तक वितरण शुरू किया गया है।

डिपो मैनेजर बोले
राज्य पाठ्य पुस्तक मंडल, जयपुर की ओर से जिला मुख्यालय स्थित वितरण केन्द्र से जिले की समस्त ग्राम पंचायत पीईईओ, शहरी नोडल केन्द्रों पर कक्षा 1 से 12 तक की निशुल्क पाठ्य पुस्तकें पहुंचाने के लिए टेंडर किए गए हैं। इसके लिए नोडल केन्द्र की दूरी व भार अनुसार ठेकेदार को भुगतान किया जाना है। पर, निजी गाडियों से पुस्तकें ले जाने से ठेकेदार का भार व दूरी दोनों कम हो रही है। जब निजी वाहन से पुस्तकें भेजने का नियम ही नहीं है तो ठेकेदार के वाहन से ही पुस्तकें जाना बताकर गड़बडी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। यह पहली बार नहीं है। अमूमन हर साल इस तरह की अनियमितता होती है, लेकिन जिम्मेदार चुप रहते हैं।

डिपो मैनेजर उमेश पाटीदार ने पहले तो निजी वाहनों से पुस्तकें ले जाने की बात से इनकार किया, लेकिन जब संवाददाता ने उन्हें परिसर में खड़ी गाड़ियां और उनमें लदी पुस्तकें दिखाईं, तो उन्होंने सफाई दी कि आनंदपुरी क्षेत्र दूरस्थ है और बारिश की वजह से एक वाहन को विशेष अनुमति दी गई है। पर, जब परिसर में ही दूसरी निजी गाड़ी की बात की गई तो वे अनभिज्ञता जताने लगे। साथ ही उन्होंने बताया कि फिलहाल उन्होंने डिपो मैनेजर का चार्ज नहीं लिया है। मर्जी से किताबें निजी वाहन में भरी होगी। इसके बाद उन्होंने मौके पर खड़े एक निजी वाहनों से पुस्तकें पुन: उतारने और परिसर में निजी वाहनों की एंट्री प्रतिबंध करने के निर्देश दिए।

निजी वाहन में लोड कर रहे थे पुस्तकें
बुधवार को जब डिपो पहुंचा, तो वहां दो निजी गाड़ियों में पुस्तकें भरी जा रही थीं। जब शिक्षकों से पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि उन्होंने डिपो मैनेजर को एक प्रार्थना पत्र दिया है, जिसमें यह लिखा है कि वे अपनी जिम्मेदारी पर निजी वाहन से किताबें ले जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि दूरी अधिक होने के कारण रात में ठेकेदार का वाहन रात तक क्षेत्र में पहुंचता है। इस पर परेशानी होती है। इस कारण निजी खर्च पर वाहन लेकर पुस्तकें ले जा रहे हैं। शिक्षकों को परेशानी है तो इसे भी विभाग को दूर करना चाहिए।

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