आज 19 जून 2025 की सुबह, जब दुनिया अभी नींद से जाग रही थी, दक्षिणी इजरायल के बीरशेबा शहर में एक भयानक घटना ने सभी को हिलाकर रख दिया। ईरान की एक बैलिस्टिक मिसाइल ने शहर के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण सोरोका मेडिकल सेंटर को निशाना बनाया। यह अस्पताल, जो 10 लाख से अधिक लोगों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान करता है, उस सुबह युद्ध के क्रूर चेहरे का शिकार बन गया। मिसाइल के गिरने से न केवल भौतिक नुकसान हुआ, बल्कि यह मानवीय संकट की एक ऐसी तस्वीर बन गई, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा।
सोरोका मेडिकल सेंटर इजरायल के दक्षिणी क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है। यहाँ यहूदी, मुस्लिम, ईसाई और अरब बेदुई समुदाय के लोग एक साथ इलाज करवाते हैं। 1,000 से अधिक बेड और अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के साथ, यह अस्पताल क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ है। गुरुवार की सुबह, जब अस्पताल में मरीजों का इलाज चल रहा था, और चिकित्सक और नर्स अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, अचानक एक तेज धमाके ने सब कुछ बदल दिया।
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे सैन्य संघर्ष के सातवें दिन, ईरान ने ऑपरेशन श्ट्रू प्रॉमिस 3श् के तहत इजरायल पर मिसाइल हमले तेज कर दिए थे। इन हमलों में तेल अवीव, यरुशलम और हैफा जैसे प्रमुख शहर पहले ही निशाना बन चुके थे, लेकिन सोरोका अस्पताल पर हमला एक नया और चौंकाने वाला कदम था। इजरायली अधिकारियों के अनुसार, यह हमला सुबह करीब 4रू30 बजे हुआ, जब मिसाइल सीधे अस्पताल के मुख्य भवन में गिरी। धमाका इतना जबरदस्त था कि 2 किलोमीटर के दायरे में इसकी आवाज सुनी गई।
मिसाइल के गिरने से अस्पताल का एक हिस्सा पूरी तरह ध्वस्त हो गया। आपातकालीन कक्ष, जहां गंभीर मरीजों का इलाज चल रहा था, बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई मरीज, डॉक्टर और कर्मचारी मलबे में दब गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धमाके के बाद चारों ओर धुआं और धूल का गुबार छा गया। चीख-पुकार और अफरा-तफरी का माहौल था। कुछ ही मिनटों में, इजरायल की आपातकालीन सेवाएँ, मैगन डेविड एडोम (एमडीए) की टीमें और सेना के जवान राहत कार्य के लिए पहुँच गए।
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि हमले में कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई, जबकि 47 अन्य घायल हुए। घायलों में कई मरीज, नर्स और डॉक्टर शामिल थे। एक नर्स, जो उस समय ऑपरेशन थिएटर में थी, ने बताया, ष्हम एक मरीज की सर्जरी कर रहे थे, तभी एक जोरदार धमाका हुआ। छत का एक हिस्सा गिर गया, और चारों ओर अंधेरा छा गया। मुझे लगा कि अब सब खत्म हो गया।ष्
इजरायल सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ग् पर लिखा, ष्ईरान के आतंकवादी शासन ने हमारे नागरिकों और एक अस्पताल पर हमला किया है। यह उनकी क्रूरता का सबूत है। हम इसका जवाब देंगे।ष् इजरायली रक्षा मंत्री ने भी तेहरान पर नए और सख्त हमलों की चेतावनी दी। दूसरी ओर, ईरान ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह इजरायल के हाल के हमलों का जवाब था, जिसमें ईरान की परमाणु साइटों को निशाना बनाया गया था।
इस हमले ने न केवल इजरायल, बल्कि पूरी दुनिया में आक्रोश पैदा किया। संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इसकी निंदा की, और मानवीय संगठनों ने युद्ध में अस्पतालों और नागरिक ठिकानों को निशाना बनाने पर चिंता जताई। सोरोका अस्पताल के मुख्य चिकित्सक ने एक बयान में कहा, ष्हमारा काम लोगों की जिंदगी बचाना है, न कि युद्ध का हिस्सा बनना। यह हमला हमारे मिशन पर हमला है।ष्
राहत कार्य देर रात तक चलते रहे। घायलों को पास के अन्य अस्पतालों में भेजा गया, जबकि मलबे में दबे लोगों को निकालने का प्रयास जारी रहा। बीरशेबा के निवासियों में दहशत का माहौल था। एक स्थानीय निवासी ने कहा, ष्हमने कभी नहीं सोचा कि हमारा अस्पताल, जहाँ हम मुश्किल वक्त में जाते हैं, वह खुद निशाना बन जाएगा।यह घटना इजरायल-ईरान युद्ध में एक दुखद मोड़ है, जिसने पहले ही दोनों देशों में भारी तबाही मचाई है। सोरोका अस्पताल पर हमला न केवल एक इमारत का नुकसान है, बल्कि मानवता पर एक चोट है। यह सवाल उठता है कि युद्ध की आग में क्या निर्दाेष और मानवीय ठिकाने भी जलते रहेंगे?