इजरायल, पाकिस्तान और ईरान को एक ही नजरिये से देखता है

ईरान को सबक सिखाने के साथ ही इज़राइल ने अब पाकिस्तान को भी आंखे दिखाना शुरू कर दी है। इजरायल के प्रधानमंत्री ने साफ कहा है कि उनका अगला निशाना पाकिस्तान हो सकता है। सवाल यह है कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा ? तो इसकी कई वजह नजर आती है। दरअसल,काफी लम्बे समय से ईरान  के साथ-साथ उनके दोस्त पाकिस्तान को लेकर भी इजरायल की त्योरियां चढ़ी हुई हैं,जिसके चलते लगातार  अप्रत्यक्ष तनाव की स्थिति उभर रही है, जो सीधे किसी सैन्य आक्रमण या खुली धमकी की बजाय राजनयिक और रणनीतिक स्तर पर उभरी है। गौरतलब है पिछले कुछ वर्षों से इज़राइल और पाकिस्तान की कोई औपचारिक कूटनीतिक संबंध नहीं हैं। दोनों के बीच संबंध गुप्त रूप से रहे हैं, लेकिन पारंपरिक रूप से यह तनावपूर्ण रहे हैं । इज़राइल के पास आधिकारिक परमाणु हथियार हैं, जबकि पाकिस्तान एक घोषित परमाणु शक्ति है। इज़राइल हमेशा पाकिस्तान को एक संभावित सामरिक चुनौती के रूप में देखता रहा है । पाकिस्तान की परमाणु क्षमता और उसका वेरिएबल आइसोटॉप फैब्रिकेटर खाफ़ुता (केएएचयूटीए) सामरिक महत्व की वजह बनी है।

इज़राइल ने अतीत में खुले तौर पर कहा है कि वह भारत और पाकिस्तान में परमाणु हथियारों की संभावित बढ़ोतरी को नकारात्मक रूप से देखता है । इससे इज़राइल की रणनीतिक चिंताओं में पाकिस्तान की भूमिका अहम बन जाती है।कुछ दिनों पूर्व इज़राइल ने ईरान के परमाणु और रक्षा केंद्रों पर प्री-एम्प्टिव हवाई हमले किये। ईरान ने मिसाइल और ड्रोन हमलों से पलटवार किया, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ा। पाकिस्तान ने ईरान का समर्थन करते हुए इसे अवैध आक्रमण करार दिया और मुस्लिम राष्ट्रों से एकजुटता की अपील की।इसी से इजरायल गुस्से में आ गया।पाकिस्तान के मौजूदा सैन्य और राजनयिक नेता, जैसे रक्षा मंत्री ख़्वाजा असिफ़ और विदेश मंत्रालय, ने इज़राइल की कार्रवाई की निंदा की है और कहा कि हर तरह से ईरान का समर्थन करेंगे, अगर हम खामोश रहेंगे तो अगली बारी हम पर होगी। हाल ही में कुछ पश्चिमी मीडिया और टेब्लॉइड्स ने रिपोर्ट किया कि पाकिस्तान ने इज़राइल को परमाणु हमले की धमकी दी है। पाकिस्तान सरकार ने इसे फेक न्यूज बताया और इस्लामी देश के संवाद और एकीकृत ब्याजों की रक्षा की बात दोहराई,लेकिन वह इस धमकी की तह में जाने में भी लगा रहा।वैसे कहा यह भी जाता है कि अक्सर राजनयिक बयानबाजी और मीडिया रिर्पोटों से कुछ लोगों  को यह भ्रम हो जाता है कि इज़राइल, पाकिस्तान के खिलाफ हमला कर सकता है या परमाणु हमले की योजना बना रहा है। लेकिन वास्तविकता यह है कि इज़राइल पाकिस्तान को क्षेत्रीय और परमाणु रणनीतिक संदर्भ में सबसे लोकतांत्रिक रूप से कंट्रोल न किए गए खतरे समझता है, खासकर जब पाकिस्तान ईरान और फिलिस्तीन जैसे मुद्दों में सक्रिय होता है ।

पाकिस्तान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह किसी भी आक्रामक प्रतिबद्धता का सामना करेगी और अपनी परमाणु मिसाइल क्षमताओं के संबंध में किसी भी प्रक्षेपण पर एक मजबूत संदेश देगा (हालांकि यह किसी नए परमाणु धमकी की तरह नहीं था, बल्कि अपनी परमाणु नीतियों की याद दिलाना था)। कुल मिलाकर हालिया मीडिया रिपोर्टिंग, राजनयिक बयान, और रणनीतिक अवधारणाओं का मिश्रण ऐसा माहौल बना रहा है जहाँ इज़राइल के धमकीष्कहे जाने वाले संकेत पाकिस्तान की रणनीति और प्रतिष्ठा की प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं। जबकि पाकिस्तान ने बार-बार कहा है कि वह खुद मुख्य रूप से रक्षात्मक नीति अपनाता है और किसी भी फर्जी खतरों को खारिज करता है, दूसरी ओर इज़राइल और पाकिस्तानी परमाणु क्षमता की वास्तविक स्थति क्षेत्रीय तनाव को बढ़ाते हैं।तो जब प्रश्न उठता है कि इज़राइल क्यों पाकिस्तान को धमकी दे रहा है, तो इसका जवाब है रणनीतिक संतुलन पर नियंत्रण। इज़राइल पाकिस्तान की परमाणु शक्ति और उसकी प्रतिभागिता को अस्थिरता का कारण मानता है। यही नहीं इजरायल ने जब ईरान के खिलाफ सख्त रूख्.ा अख्तियार कियातो पाकिस्तान ने ईरान का समर्थन किया, जिससे इज़राइल उसकी भूमिका को क्षेत्रीय खतरनाक सहयोग समझ रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *