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पहलगाम में 26 हिन्दुओं के नरसंहार और इसमें पाकिस्तान का हाथ होने के सबूत मिलने के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ आयात-निर्यात पूरी तरह से बंद कर दिया है। इसका पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। वैसे यह पहली बार नहीं हुआ है। पाकिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध दशकों से तनाव और राजनीतिक अस्थिरता के साए में रहे हैं। हालांकि समय-समय पर सीमित व्यापारिक गतिविधियाँ होती रही हैं, लेकिन भारत द्वारा पाकिस्तान से आयात-निर्यात पूरी तरह से बंद करने का निर्णय एक बड़ा और दूरगामी असर वाला कदम है।
यह कदम पुलवामा हमलेे के बाद दोबरा उठाया गया है। इससे पूर्व फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद आयात निर्यात बंद किया गया था, जब भारत सरकार ने पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन दर्जे को वापस ले लिया और सीमा शुल्क दरों को 200 फीसदी तक बढ़ा दिया। इसके बाद दोनों देशों के बीच व्यापारिक रास्ते लगभग पूरी तरह बंद हो गए। बात भारत सरकार के इस फैसले के बाद की कि जाये तो कहा जा सकता है कि भारत का पाकिस्तान के साथ कुल व्यापार बहुत बड़ा नहीं था। वर्ष 2018-19 में भारत का पाकिस्तान को निर्यात लगभग $2.06 बिलियन था, जबकि पाकिस्तान से आयात मात्र $0.5 बिलियन के आसपास था। इसके बावजूद, कुछ खास क्षेत्रों पर इसका असर जरूर पड़ेगा।
पाकिस्तान भारत को सीमेंट और कुछ मौसमी फल (जैसे कि खजूर, चेरी) सप्लाई करता था। इन वस्तुओं के आयात बंद होने से भारत में कीमतों में अस्थायी वृद्धि देखी गई, जिसे अन्य देशों से आयात कर संतुलित किया गया। सरकार के इस फैसले से कश्मीर और पंजाब के कुछ सीमावर्ती व्यापारियों को नुकसान हो सकता है, जो सीमित व्यापार से अपनी जीविका चलाते थे।
भारत ने यह फैसला पाकिस्तान कोे एक स्पष्ट संदेश देने के लिए लिया है कि आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों के साथ सामान्य रिश्ते नहीं बनाए जा सकते। बात पाकिस्तान को नुकसान की कि जाये भारत पाकिस्तान का चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य था। भारत से दवाइयाँ, रसायन, कृषि उत्पाद, और कपड़ा उद्योग के लिए कच्चा माल पाकिस्तान लेता है। व्यापार बंद होने से पाकिस्तान को कई क्षेत्रों में परेशानी झेलनी पड़ेगी। भारत की दवाइयाँ पाकिस्तान में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानी जाती थीं। पाक में कृषि आधारित उद्योग, कपड़ा उद्योग को प्रभावित करने वाले रसायन और रंग भारत से जाते थे।
खैर, भारत द्वारा पाकिस्तान से आयात-निर्यात बंद करने का कदम भावनात्मक, कूटनीतिक और सामरिक दृष्टिकोण से मजबूत भले ही रहा हो, लेकिन इसके बहुआयामी प्रभाव पड़ते हैं। भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में यह निर्णय सहायक साबित हो सकता है, लेकिन इससे सीमावर्ती क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था, पाकिस्तान की जनता और दोनों देशों के रिश्तों पर गहरा असर पड़ेगा। व्यापार कोई सामान्य लेन-देन नहीं, बल्कि यह दो देशों के बीच संवाद का जरिया भी होता है।