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सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है और याचिकाकर्ताओं को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने याचिका को गैर-जिम्मेदाराना करार देते हुए कहा कि इससे न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग होता है और अदालत का कीमती समय बर्बाद होता है।
यह याचिका फतेह कुमार साहू, मोहम्मद जुनैद और विक्की कुमार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें मांग की गई थी कि हमले की जांच सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में गठित न्यायिक आयोग द्वारा कराई जाए। साथ ही, पर्यटन स्थलों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन, सीआरपीएफ और एनआईए को निर्देश देने की भी अपील की गई थी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि रिटायर्ड जज कब से आतंकी हमलों जैसे मामलों की जांच के विशेषज्ञ हो गए हैं? अदालत ने याचिकाकर्ताओं से मामले की गंभीरता को समझने की अपील करते हुए कहा कि यह समय एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का है, न कि ऐसी याचिकाओं के माध्यम से भ्रम फैलाने का।
कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए चेतावनी दी कि भविष्य में इस प्रकार की याचिकाएं दायर करने से पहले गंभीरता से विचार किया जाए। अदालत का कहना था कि न्यायपालिका का इस्तेमाल किसी एजेंडा या प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।
गौरतलब है कि हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 से अधिक लोगों की जान गई थी, जिनमें दो विदेशी नागरिक, एक आईबी अधिकारी और नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल थे। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े ‘द रजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी।