sanjay saxena lucknow
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए हैं। पार्टी कार्यालय के बाहर लगाई गई एक होर्डिंग ने न सिर्फ राजनीतिक भूचाल खड़ा कर दिया, बल्कि अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग को भी सख्त रुख अपनाने पर मजबूर कर दिया है। इस विवादित होर्डिंग में भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को आधा काटकर, उसी स्थान पर अखिलेश यादव की तस्वीर जोड़ दी गई है। इस “फोटो मिक्सिंग” को भाजपा और आयोग ने सीधे तौर पर बाबा साहेब का अपमान करार दिया है।
इस पूरे मामले ने राज्य की राजनीति में उबाल ला दिया है। अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने इस कृत्य को घोर निंदनीय बताते हुए लोहिया वाहिनी के जिम्मेदार नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई का निर्देश दिया है। आयोग ने सख्ती दिखाते हुए प्रशासन से 5 मई तक पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट तलब की है।
बैजनाथ रावत ने मीडिया से बातचीत में दो टूक कहा, “बाबा साहेब अंबेडकर सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संविधान निर्माता और करोड़ों दलितों की उम्मीद हैं। ऐसे महापुरुष की तस्वीर से छेड़छाड़ कर किसी भी रूप में राजनीतिक प्रचार करना न केवल अमर्यादित है, बल्कि यह सीधे तौर पर अनुसूचित जातियों और जनजातियों का भी अपमान है।”
भाजपा का सपा पर जोरदार हमला
इस विवाद ने भाजपा को अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर हमला बोलने का बड़ा मौका दे दिया है। भाजपा ने इसे ‘बाबा साहेब का खुला अपमान’ बताया है और बुधवार को प्रदेश के सभी जिलों में जमकर प्रदर्शन किया। पोस्टर और होर्डिंग की प्रतियां फाड़कर विरोध जताया गया और अखिलेश यादव से माफी की मांग की गई।
राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजलाल ने लखनऊ में प्रदर्शन का नेतृत्व किया। उन्होंने तीखा हमला बोलते हुए कहा, “सपा कार्यालय पर एक आपत्तिजनक चित्र लगाया गया है, जिसमें डॉ. अंबेडकर की आधी तस्वीर के साथ अखिलेश यादव की आधी तस्वीर जोड़ दी गई है। यह सिर्फ एक फोटो नहीं, बल्कि बाबा साहेब के योगदान का मखौल उड़ाने की कोशिश है।”
बृजलाल ने आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब समाजवादी पार्टी ने अंबेडकर का अपमान किया हो। उन्होंने अतीत की कई घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि सपा का रवैया हमेशा से ही दलित विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि लोहिया वाहिनी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने न सिर्फ यह चित्र बनवाया, बल्कि इसे गर्व के साथ अखिलेश यादव को भेंट भी किया, जो और भी शर्मनाक है।
राजनीति में दलित वोट बैंक की जंग
यह पूरा विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब उत्तर प्रदेश में दलित वोट बैंक को साधने के लिए सभी पार्टियों में प्रतिस्पर्धा तेज हो गई है। भाजपा इसे सपा की दलित विरोधी मानसिकता के रूप में प्रचारित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। वहीं, सपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक माफी या सफाई नहीं आई है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है।
भाजपा नेताओं का साफ कहना है कि समाजवादी पार्टी को बाबा साहेब के योगदान की कद्र नहीं है। प्रदर्शन के दौरान लगाए गए नारों में “बाबा साहेब का अपमान नहीं सहेंगे”, “अखिलेश माफी मांगो” जैसे शब्द प्रमुख रहे।
कानूनी कार्रवाई की तैयारी
अनुसूचित जाति जनजाति आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों के बाद अब प्रशासन भी हरकत में आ गया है। लोहिया वाहिनी के पदाधिकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। आयोग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि समयसीमा के भीतर संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई, तो उच्चस्तरीय हस्तक्षेप किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद सिर्फ एक पोस्टर का नहीं, बल्कि सपा की दलित राजनीति की साख पर भी सवाल खड़े करता है। भाजपा इस मुद्दे को आगामी चुनावों तक उछालने की पूरी तैयारी में है।