समाचार मंच प्रतिनिधि
पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ व्यापक आंदोलन उभरकर सामने आया है, जिसमें राजनीतिक दलों, धार्मिक संगठनों और आम जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है। यह विधेयक, जिसे केंद्र सरकार ने प्रस्तावित किया है, राज्य में तीव्र विरोध और बहस का विषय बन गया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार लाना है। विधेयक के तहत, वक्फ बोर्डों की संरचना, कार्यप्रणाली और संपत्तियों के उपयोग में बदलाव प्रस्तावित हैं, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। हालांकि, आलोचकों का मानना है कि ये संशोधन मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते है।सबसे खास बात यह है कि बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ही आंदोलनकारियों को उकसाने और भड़काने का काम कर रही है।
पश्चिम बंगाल में वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ आंदोलन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। उन्होंने इस विधेयक को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को छीनने वाला बताया है। बनर्जी का आरोप है कि केंद्र सरकार ने इस विधेयक को पेश करने से पहले राज्यों से परामर्श नहीं किया। विधानसभा सत्र के दौरान ममता बनर्जी ने कहा कि यह विधेयक एक विशेष समुदाय को लक्षित करता है और इससे वक्फ संपत्तियों का नुकसान हो सकता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि इतिहास में कई हिंदू समुदाय के लोगों ने भी वक्फ संपत्तियों को दान दिया है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
बनर्जी ने केंद्र सरकार को चुनौती देते हुए सवाल किया कि क्या वे बालाजी ट्रस्ट समिति या रामकृष्ण मिशन की संपत्तियों की समीक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी धर्म पर हमला होता है, तो वे उसकी निंदा करेंगी। इस प्रकार, ममता बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ अपनी स्पष्ट और मजबूत राय व्यक्त की है, जिसे उन्होंने मुस्लिम समुदाय के अधिकारों के लिए खतरा बताया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस विधेयक को धर्मनिरपेक्षता विरोधी करार दिया है और दावा किया है कि इससे मुसलमानों के अधिकार छिन जाएंगे। केंद्र ने हमसे इस पर कोई परामर्श नहीं किया। अगर किसी धर्म पर हमला हुआ तो मैं पूरी तरह से इसका विरोध करूंगी और निंदा करूंगी। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भी इस विधेयक के विरोध में कोलकाता में एक बड़ी रैली आयोजित की, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया। टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ कोई चर्चा किए बिना ही इस मामले पर आगे बढ़ रही है, जो संघीय ढांचे के खिलाफ है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में भी इस विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया गया, जिसमें इसे विभाजनकारी बताते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन की आशंका जताई गई। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री सोवनदेब चट्टोपाध्याय ने कहा कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेल सकता है।
पश्चिम बंगाल जमीयत-ए-उलमा ने भी इस विधेयक के खिलाफ कोलकाता में विरोध प्रदर्शन किया। संस्था के अध्यक्ष मौलाना सिद्दीकुल्लाह चैधरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने यह विधेयक पेश करके सीधे संविधान पर हमला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुसलमानों से उनके अधिकार छीनने और वक्फ संपत्तियों को नष्ट करने का प्रयास है।
अप्रैल 2025 में, मुर्शिदाबाद जिले के जंगीपुर इलाके में इस विधेयक के विरोध में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों में आग लगा दी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं बंद कर दीं और धारा 163 लागू की। राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने राज्य सरकार को हिंसा पर रोक लगाने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने और पूरी घटना की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।