संजय सक्सेना,लखनऊ
कांग्रेस को कैसे पुनः जीवित किया जाये इसको लेकर गुजरात के अहमदाबाद में चल रहे उसके राष्ट्रीय अधिवेशन में अजब विरोधाभास दिखा। यहां पार्टी को आगे बढ़ाने की चिंता छोड़कर करीब-करीब उसके सभी वक्ता बीजेपी और मोदी सरकार को घेरने में लगे हैं। ईवीएम पर सवाल खड़े किये जा रहे हैं,वहीं यह भ्रम भी फैलाया जा रहा है कि वक्फ बोर्ड पर लोकसभा में बहस के दौरान राहुल गांधी को बोलने नहीं दिया गया। यह बात पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तक कह रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में संपन्न संसद के बजट सत्र में विपक्ष की आवाज को दबाया गया और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को वक्फ विधेयक पर बोलने नहीं दिया गया। खरगे ने कहा कि यह लोकतंत्र के लिए शर्म की बात है और यह दिखाता है कि मौजूदा सरकार किस मानसिकता के साथ काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के कृत्यों के खिलाफ आवाज उठाना जरूरी है क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
गौरतलब है कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 हाल ही में संसद से पारित हुआ है। इस दौरान राहुल गांधी के संसद में इस मुद्दे पर नहीं बोलने और प्रियंका गांधी की गैरमौजूदगी को लेकर सवाल उठे थे। हालांकि, राहुल गांधी 2 अप्रैल को विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में मौजूद थे, लेकिन उन्होंने कोई भाषण नहीं दिया था। वहीं, प्रियंका गांधी के बारे में कांग्रेस ने बताया था कि वे अमेरिका में एक बीमार रिश्तेदार के पास थीं और इसकी सूचना स्पीकर को दे दी गई थी।
इस घटनाक्रम को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा चल रही है। बीजेपी और अन्य कुछ दलों के नेताओं ने राहुल गांधी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं, जबकि तब कांग्रेस नेताओं ने पार्टी के सामूहिक रुख का हवाला देते हुए राहुल गांधी के नहीं बोलने पर उनका बचाव किया था। कांग्रेस के अधिवेशन में ’’राहुल गांधी सदन में मौजूद और उन्होंने 3 अप्रैल को बिल पर वोट भी किया था। इसके साथ ही राहुल ंने ट्वीट किया था कि इस बिल को मुसलमानों को हाशिए पर धकेलने और उनके व्यक्तिगत कानूनों और संपत्ति अधिकारों को हड़पने का हथियार बताया था।
इस पर जब विपक्ष और मीडिया ने सवाल किया तो कांग्रेस नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी का बिल पर नहीं बोलना कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और पार्टी ने दोनों सदनों में इस बिल का कड़ा विरोध किया और इसके खिलाफ वोट किया। उनका यह भी कहना है कि यह जरूरी नहीं है कि राहुल गांधी हर महत्वपूर्ण बिल पर बोलें। कांग्रेस के अन्य मुस्लिम, ईसाई और सिख सदस्यों ने इस बिल पर पार्टी का पक्ष रखा था।
गौरतलब हो केरल के एक मुस्लिम संगठन ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की सदन में अनुपस्थिति और बिल पर नहीं बोलने के लिए आलोचना की थी। इसलिए, यह कहना गलत है कि राहुल गांधी को वक्फ बिल पर बोलने नहीं दिया गया था। उन्होंने बहस के दौरान सदन में उपस्थिति दर्ज कराई थी, लेकिन उन्होंने स्वयं इस विषय पर भाषण नहीं दिया था।जबकि अब खरगे आरोप लगा रहे हैं कि राहुल गांधी को वक्फ बिल पर चर्चा के दौरान संसद में बोलने नहीं दिया गया था।