
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने हाल ही में आरोप लगाया है कि उन्हें सदन में बोलने से रोका जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब भी वे अपनी बात रखने के लिए खड़े होते हैं, स्पीकर ओम बिरला उन्हें मौका नहीं देते और कार्यवाही स्थगित कर दी जाती है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों की जगह होती है, लेकिन वर्तमान में विपक्ष की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने स्पीकर की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि सदन को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों ने नाराजगी जताई है और लोकसभा स्पीकर से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। कांग्रेस के 70 सांसदों ने इस मामले पर स्पीकर से शिकायत की है। हालांकि, स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी को सदन में शिष्टाचार और मर्यादा का पालन करने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि सदन की मर्यादा और शालीनता को बनाए रखना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी है।
राहुल गांधी का कहना है कि लोकसभा में वे महाकुंभ पर बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया गया। उनका कहना है कि वे बेरोजगारी पर बोलना चाहते थे, लेकिन उन्हें मौका नहीं दिया गया। राहुल गांधी का दावा है कि पिछले 7-8 दिनों में उन्हें बोलने ही नहीं दिया गया। इस पर लोकसभा स्पीकर की टिप्पणी है कि उन्हें शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए। स्पीकर का कहना था कि सदन की मर्यादा और शालीनता को बनाए रखना सभी सांसदों का कर्तव्य है। राहुल गांधी कहते हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया, वे शांतिपूर्वक बैठे रहे, फिर भी उन्हें बोलने नहीं दिया गया। उनका आरोप है कि वर्तमान सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है और संसद को अलोकतांत्रिक तरीके से चलाया जा रहा है।
पिछली लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल गांधी खुद कह चुके हैं कि उन्हें “पप्पू” समझा जाता है, लेकिन ऐसी बातों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। राहुल गांधी के साथ-साथ उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी कई बार कह चुकी हैं कि उनके भाई को निशाना बनाया जाता है, लेकिन वे डटकर मुकाबला करते हैं। जिस दिन लोकसभा में स्पीकर ने राहुल गांधी को मर्यादा का पालन करने की नसीहत दी, उसी दिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएनआई के पॉडकास्ट में कहा था कि “भारत की राजनीति में बीजेपी के लिए राहुल जैसे कुछ नमूने जरूर होने चाहिए, जिससे एक रास्ता हमेशा के लिए साफ होता रहे।” इस तरह की टिप्पणियां राहुल गांधी को लेकर अक्सर बीजेपी नेताओं द्वारा की जाती रही हैं। कई बार ऐसा लगता है कि राहुल गांधी खुद भी इस तरह के बयानों के लिए अवसर देते हैं। मसलन, अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से गले मिलना और फिर साथी नेताओं की तरफ देखकर आंख मारना, यह दृश्य पूरे देश ने टीवी पर देखा था। लोकसभा में स्पीकर ओम बिरला ने कहा था कि सभी सदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वे सदन की गरिमा बनाए रखें और उच्च मानकों का पालन करें।
राहुल गांधी कहते हैं कि वे नहीं जानते कि ऐसा क्या हुआ कि उन्हें बोलने का अवसर नहीं दिया गया। वे खड़े हुए और कहा कि उन्हें बोलने दिया जाए, लेकिन स्पीकर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और सदन को स्थगित कर दिया गया। अगर राहुल गांधी ने वास्तव में ऐसा कुछ किया है जो नियमों के खिलाफ है, तो इसके लिए उचित दंड का प्रावधान है। स्पीकर के पास अधिकार है कि वे किसी सदस्य को सदन में आने से रोक सकते हैं, निलंबित कर सकते हैं, चाहे वह एक दिन के लिए हो या पूरे सत्र के लिए। राहुल गांधी को केवल बयानबाजी करने के बजाय इस मुद्दे को किसी तार्किक निष्कर्ष तक ले जाना चाहिए। उन्हें स्पीकर से मिलकर, राष्ट्रपति से मिलकर या अन्य उपयुक्त मंच पर अपनी बात रखनी चाहिए। वे जनता के बीच भी जा सकते हैं, लेकिन केवल मीडिया में बयान देने से कोई ठोस समाधान निकलने वाला नहीं है।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में कांग्रेस का संविधान रक्षक कार्यक्रम चल रहा था, जिसमें राहुल गांधी भाषण दे रहे थे और अचानक माइक बंद हो गया। कार्यक्रम लाइव प्रसारित हो रहा था। राहुल गांधी ने कहा कि जो दलितों की बात करता है, उसका माइक बंद कर दिया जाता है। इसी तरह, एक बार राहुल गांधी ने दावा किया था कि अगर वे बोलेंगे तो “भूकंप आ जाएगा”, लेकिन जब उन्होंने बोला तो कुछ भी नया नहीं था। लोकसभा की इस घटना के संदर्भ में कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम का बयान भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि “मुझे नहीं पता कि क्या हुआ और ऐसी कौन सी उकसाने वाली स्थिति बनी कि स्पीकर को ऐसा कहना पड़ा। यह मुझे मेरे स्कूल के दिनों की याद दिलाता है, जब हेडमास्टर छात्रों को अनुशासन सिखाते थे।”
18वीं लोकसभा की शुरुआत से ही नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और स्पीकर ओम बिरला के बीच टकराव देखा जा रहा है। राहुल गांधी ने स्पीकर पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ पक्षपात करने का भी आरोप लगाया है। अब सवाल उठता है कि क्या यह विवाद आगे और गंभीर होगा? क्या यह मसला राजनीतिक रूप से और बड़ा रूप ले सकता है? आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस टकराव का भारतीय राजनीति पर क्या असर पड़ता है।