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कुंभ मेला 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के स्नान के साथ समाप्त हो जाएगा, लेकिन मार्च का महीना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। होली और रमजान एक साथ पड़ने के कारण पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता होगी। खासतौर पर उन स्थानों पर पुलिस को अधिक सतर्क रहना होगा, जहां पारंपरिक रूप से भव्य होली का आयोजन होता है। इसीलिए मथुरा के बरसाना में होने वाली लठामार होली के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयारियों में जुटा हुआ है। बरसाना में लठामार होली का आयोजन 8 मार्च को होगा, जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। पुलिस प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार करीब 20 लाख श्रद्धालु मेले में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में पूरे मेला क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर विशेष तैयारी की जा रही है। जर्जर इमारतों के मालिकों को नोटिस थमाए गए हैं, ताकि कोई दुर्घटना न हो। इसके अलावा, पुलिस उन स्थानों को चिन्हित कर रही है, जहां असामाजिक तत्व महिलाओं से अभद्रता कर सकते हैं। इस बार ऐसे तत्वों पर विशेष नजर रखी जाएगी, ताकि कोई भी अप्रिय घटना न हो।
मथुरा के जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में प्रवेश और निकासी के विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। राधारानी मंदिर में श्रद्धालु सीढ़ियों से प्रवेश करेंगे, जबकि जयपुर मंदिर मार्ग से उनकी निकासी कराई जाएगी। नगर पंचायत को निर्देश दिए गए हैं कि जर्जर भवनों को चिन्हित कर उन्हें गिराने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए।गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण ने प्रशासन को निर्देश दिया है कि बरसाना की लड्डू और लठामार होली को और भव्य बनाया जाए। पूरे मेला क्षेत्र को राधा-कृष्ण की लीलाओं से सजाने के लिए विशेष प्रबंध किए जा रहे हैं। लाइटिंग, प्रवेश द्वार और साज-सज्जा को आकर्षक बनाने के निर्देश भी दिए गए हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने स्थानीय प्रभारी निरीक्षक को निर्देश दिए हैं कि होली के दौरान हुड़दंग मचाने वालों की सूची तैयार की जाए। खासतौर पर महिलाओं से अभद्रता करने वाले लोगों पर कड़ी नजर रखी जाएगी। पुलिस की एक विशेष टीम सिविल ड्रेस में भी तैनात रहेगी। इसके अलावा, पूरे कस्बे में पुलिस पिकेट तैनात की जाएगी ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
बरसाना की लठामार होली विश्व प्रसिद्ध है, जहां राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी रंगों और परंपराओं के माध्यम से जीवंत होती है। श्रद्धालु बरसों से इस आयोजन का हिस्सा बनते आ रहे हैं, लेकिन बढ़ती भीड़ और कानून-व्यवस्था की चुनौतियों के मद्देनजर प्रशासन को हर साल सुरक्षा इंतजाम और बेहतर करने पड़ते हैं। इस बार प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर कमर कस ली है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी बाधा के उत्सव का आनंद ले सकें।