
संघ प्रमुख मोहन भागवत 10 दिनों के बंगाल दौरे पर हैं. यहां उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया. ये सभा कोर्ट की मंजूरी के बाद आयोजित हुई. यहां उन्होंने दुनिया की विविधता को अपनाने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हिंदू समाज का मानना है कि एकता में ही विविधता समाहित है.
संघ का उद्देश्य केवल हिन्दू समाज को एकजुट करना है. मोहन भागवत ने कहा कि एक लाख 30 हजार से ऊपर देश भर में स्वयंसेवक हैं. वो किसी से कोई पैसा नहीं लेते हैं वो अपने दम पर काम करते हैं. इसलिए हम कह रहे हैं, हम यशस्वी होने के लिए ऐसा नहीं कर रहे, भारत की उन्नति में अपना सार्थक योगदान देने के लिए ऐसा कर रहे हैं.
उन्होंने आगे कहा कि संघ ने उन्हें बस संस्कार और विचार दिया है, प्रेरणा दी है. संघ को एक ही काम करना है, समाज को संगठित करना और समाज का निर्माण करना. इस संदर्भ में उन्होंने कई उदाहरण दिए, जैसे कि स्वामी विवेकानंद के विचार और उनके जीवन की घटनाएं, जो हमें एकता के महत्व को समझाती हैं।
भागवत ने एक लाइन में बताया संघ का काम
भागवत ने कहा कि संघ क्या करना चाहता है? अगर इस प्रश्न का उत्तर एक लाइन में देना है, तो संघ पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना चाहता है. हिंदू समाज को एकजुट क्यों करें? क्योंकि इस देश के लिए जिम्मेदार समाज हिंदू समाज है.
उन्होंने कहा कि भारत की एक प्रकृति है, और जिन्होंने सोचा कि वे उस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया. हिंदू दुनिया की विविधता को स्वीकार करके आगे बढ़ते हैं.
भागवत ने इस संदर्भ में विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक विविधताओं का उल्लेख किया और बताया कि कैसे एकता के माध्यम से हम सभी को एक साथ लाने का प्रयास किया जा सकता है।
मोहन भागवत का दृष्टिकोण
एकता की ही विविधता- भागवत
संघ प्रमुख ने कहा कि हम आजकल कहते हैं विविधता में एकता, हिन्दू समझता है कि एकता की ही विविधता है. मोहन भागवत ने बंगाल में रैली को संबोधित करते हुए विविधता में एकता की बात की और रामायण के उदाहरण दिए.
उन्होंने कहा कि यहां राजा महाराजाओं को कोई याद नहीं करता लेकिन उस राजा को याद करते हैं, जिसने पिता के लिए 14 साल वनवास किया, जिसने भाई की खड़ाउ रखकर वापस लौटने पर भाई को राज्य दिया.
उन्होंने इस संदर्भ में और भी कई धार्मिक ग्रंथों और उनके संदेशों का उल्लेख किया, जो एकता और भाईचारे की प्रेरणा देते हैं।
अंत में, भागवत ने यह भी कहा कि हमारे समाज को संगठित करने के लिए हम सभी को एकजुट होकर काम करना होगा. समाज के हर वर्ग का योगदान आवश्यक है.
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे अपने समाज की भलाई में सक्रिय भागीदारी निभाएं और भारत को आगे बढ़ाने में योगदान दें. यह एक सामूहिक प्रयास है, और हर व्यक्ति का योगदान महत्वपूर्ण है.