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भारत सरकार ने वर्ष 2027 में आयोजित होने वाली जनगणना के लिए आधिकारिक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि यह जनगणना पूरी तरह डिजिटल माध्यम से कराई जाएगी और इसे दो चरणों में पूरा किया जाएगा। यह आजादी के बाद देश की ’’आठवीं जनगणना’’ होगी, जबकि कुल मिलाकर यह ’’सोलहवीं जनगणना’’ होगी।
जनगणना 2027 को आधुनिक तकनीक के साथ डिजिटल रूप में आयोजित किया जाएगा। इसके लिए विशेष रूप से एक ’’मोबाइल एप्लीकेशन’’ विकसित किया गया है, जिसके जरिए फील्ड में जानकारी एकत्रित की जाएगी। इसके अतिरिक्त नागरिकों को ’’स्व-गणना (ैमस िम्दनउमतंजपवद)’’ की भी सुविधा दी जाएगी, जिससे वे स्वयं ऑनलाइन माध्यम से अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे।दो चरणों में होगी जनगणना प्रक्रिया। पहला चरण मकान सूचीकरण और मकानों की गणना का होगा इस चरण में हर घर की ’’आवासीय स्थिति’’, ’’संपत्ति’’, और ’’मूलभूत सुविधाओं’’ से संबंधित जानकारी एकत्र की जाएगी। मकानों की संख्या, उनका प्रकार, और उनमें उपलब्ध संसाधनों को दर्ज किया जाएगा।
दूसरा चरण जनसांख्यिकीय और सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का होगा। इस चरण में घर में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की ’’जनसांख्यिकीय’’, ’’सामाजिक-आर्थिक’’, ’’सांस्कृतिक’’, और ’’जातिगत’’ जानकारी एकत्रित की जाएगी। इस बार की जनगणना में ’’जाति आधारित जानकारी’’ भी शामिल की जाएगी, जो लंबे समय से एक बहुप्रतीक्षित पहल मानी जा रही है।जनगणना 2027 के लिए व्यापक स्तर पर मानव संसाधन की व्यवस्था की गई है। 34 लाख सर्वेक्षक और सुपरवाइजर’’ फील्ड में डोर-टु-डोर जाकर जानकारी जुटाएंगे।1.3 लाख जनगणना अधिकारी’’ संपूर्ण प्रक्रिया की निगरानी और डेटा विश्लेषण का कार्य संभालेंगे।ये कर्मचारी न केवल डेटा संग्रहण करेंगे, बल्कि उसे प्रोसेस कर अंतिम रिपोर्ट तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।
जनगणना के दौरान एकत्र की गई सभी सूचनाओं की ’’निजता और सुरक्षा’’ सुनिश्चित करने के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं। डेटा के ’’संग्रह’’, ’’स्थानांतरण’’, और ’’स्टोरेज’’ के हर चरण में ’’डेटा लीक न हो इसके लिए सख्त प्रावधान’’ किए जाएंगे। सरकार ने भरोसा दिलाया है कि नागरिकों की व्यक्तिगत जानकारी पूरी तरह से संरक्षित रहेगी। इतिहासकारों के अनुसार, 1881 से 1971 तक की अवधि में उत्तर भारत में जनसंख्या वृद्धि सबसे ’’कम’’ रही थी। वहीं, 1881 से 2011 के बीच उत्तर भारत में 427 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो इस अवधि में भी सबसे कम थी। इसके विपरीत दक्षिण भारत में 445,पश्चिम भारत में 500 और पूर्वी भारत में 535 फीसदी वृद्धि हुर्ह। ये आंकड़े स्पष्ट रूप से क्षेत्रीय जनसंख्या विकास की असमानताओं को दर्शाते हैं, जो नीति निर्माण और संसाधन आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।कुल मिलाकर जनगणना 2027 न केवल भारत की जनसंख्या का वास्तविक प्रतिबिंब प्रस्तुत करेगी, बल्कि यह ’’डिजिटल इंडिया’’ की दिशा में एक बड़ा कदम भी होगी। जाति गणना को शामिल करना सामाजिक संरचना की बेहतर समझ प्रदान करेगा, वहीं डिजिटल प्रणाली पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करेगी। यह जनगणना भविष्य की नीति निर्माण, संसाधन आवंटन और सामाजिक योजनाओं के लिए एक मजबूत आधारशिला बनेगी।