समाचार मंच प्रतिनिधि
सिंधु जल समझौता रद्द होने के बाद पाकिस्तान में पानी को लेकर विवाद गहरा गया है। एक ओर देश में सूखे का खतरा मंडरा रहा है, तो दूसरी ओर पानी के बंटवारे को लेकर राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने चेतावनी दी है कि यदि आगामी कॉउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट (सीसीआई) की बैठक में नहर निर्माण विवाद का समाधान नहीं निकला, तो वह सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। यह अहम बैठक 2 मई को होनी तय है।
दरअसल, पंजाब प्रांत ने सिंधु नदी पर छह नई नहरें बनाने का प्रस्ताव रखा है, ताकि स्थानीय किसानों को सिंचाई के लिए अधिक पानी मिल सके। सिंध प्रांत इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध कर रहा है। पीपीपी भी सिंध के लोगों के समर्थन में खुलकर सामने आ गई है। पार्टी का कहना है कि यदि पंजाब में नहरें बनाई जाती हैं, तो सिंध को पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सिंध के ऊर्जा मंत्री नासिर शाह ने सरकार को स्पष्ट अल्टीमेटम दिया है कि यदि यह मसला सीसीआई बैठक में हल नहीं होता, तो पीपीपी गठबंधन से नाता तोड़ लेगी। सिंध में इस नहर परियोजना के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। वकील, सिविल सोसाइटी कार्यकर्ता और आम लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विरोध के चलते सिंध और पंजाब को जोड़ने वाले राजमार्गों पर भारी जाम लगा हुआ है, जिसमें कई बड़े कंटेनर भी घंटों से फंसे हुए हैं।
पाकिस्तान के दो बड़े प्रांत पंजाब और सिंध पानी को लेकर आमने-सामने है. पंजाब में पीएमएलएन की सरकार है और वहां पर नवाज शरीफ की बेटी मरियम मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं. इसी तरह सिंध में बिलावल भुट्टो की पार्टी की सरकार है. मुराद अली शाह यहां के मुख्यमंत्री हैं.मामला इतना आगे बढ़ गया है कि दोनों ही गुटों के लोगों ने एक दूसरे के खिलाफ तलवारें तान ली हैं. पानी पर न तो मरियम के लोग झुकने के लिए तैयार हैं और न ही बिलावल भुट्टो के.